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________________ कायोत्सर्ग से कर्म-निर्जरा तप के बारह भेदों में से प्रत्येक भेद से कर्मों की निर्जरा होती है। इनमें प्रथम बाह्य तप के छः भेद, विषयों से विरक्ति के साधन हैं और आभ्यन्तर तप के छः भेद कषाय-मुक्ति के विशेष साधन हैं। इनमें स्वाध्याय, ध्यान का आलम्बन है। ध्यान कायोत्सर्ग का अंग है अर्थात् स्वाध्याय और ध्यान कायोत्सर्ग को पुष्ट करते हैं तथा कषाय को क्षय करते हैं। कषाय का क्षय होना ही घाती कर्मों की निर्जरा (क्षय) होना है। यह ही साधना का लक्ष्य है। अतः साधनामय जीवन के विकास में स्वाध्याय, ध्यान और कायोत्सर्ग का बड़ा महत्त्व है। यहाँ इन पर विशेष प्रकाश डाला जा रहा है स्वाध्याय शब्द स्व और अध्याय, इन दो पदों के मेल से बना है। स्व का अर्थ है-अपना और अध्याय का अर्थ है-अध्ययन करना, जानना अर्थात् स्वयं को जानने का प्रयत्न स्वाध्याय है। 'स्व' वह है जो सदा साथ रहे, कभी अलग न हो, जो साथ न रहकर अलग हो जाता है उसे अन्य या 'पर' कहा जाता है। जो अन्य नहीं है, अनन्य है वही स्व है। इस दृष्टि से विचार करें तो जिस धन, धाम, पत्नी व परिजन को अपना मानते हैं वे भी पर ही हैं, अन्य ही हैं, क्योंकि जीवन में किसी भी समय अथवा मृत्यु आने पर इनका साथ छूट ही जाता है। यही बात शरीर पर भी घटित होती है, अतः धन, जन आदि तो 'पर' हैं ही, तन भी पर ही है। जीव ज्ञान-स्वभाव वाला है, अतः जानने का कार्य अर्थात कोई-न-कोई विचार निरन्तर चलता रहता है। जानने का यह कार्य तब तक प्रतिक्षण चलता रहता है, जब तक कि कुछ भी जानना शेष है। जब कुछ भी जानना शेष नहीं रहता अर्थात् अशेष ज्ञान हो जाता है तो जानने का कार्य समाप्त हो जाता है। विचारणीय यह है कि जीव अनन्तकाल से जानने या विचारने का कार्य करता आया है परन्तु जानने का कार्य अभी तक पूरा नहीं हुआ है। इससे यह सिद्ध होता है कि जीव की जानने की क्रिया सही नहीं है, क्योंकि सही क्रिया वह है जो सफल हो अर्थात् जिसके करने से उद्देश्य या लक्ष्य की प्राप्ति हो जावे, फिर कुछ करना शेष न रहे। जिस क्रिया के करने से कार्य में सफलता न मिले, उस 70 कायोत्सर्ग Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001217
Book TitleKayotsarga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Lodha
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2007
Total Pages132
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Principle
File Size7 MB
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