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________________ १०३] तइओ उसओ । दो कुमुया, दो संलिलावती, दो वप्पा, दो सुवप्पा, दो महावप्पा, दो वप्पगावती, दो वग्गू, दो सुवग्गू, दो गंधिला, दो गंधिलावती ३२, दो खेमाओ, दो खेमर्पुराओ, दो रिट्ठाओ, दो रिट्ठपुंराओ, दो खग्गीतो, दो मंजूसाओ, दो ओसधीओ, दो पुंडरिगणीओ, दो सुसीमाओ, दो कुंडलाओ, दो अपराजियाओ, दो पभंकराओ, दो अंकाँवईओ, दो पम्हावईओ, दो सुभाओ, दो रयणसंचयाओ, दो आसपुराओ, दो सीहपुराओ, दो महापुराओ, दो विजयपुराओ, दो अंवराजिताओ, दो अंग्याओ, दो असोगाओ, दो विगयसोगाओ, दो विजयाओ, दो वेजयंतीओ, दो जयंतीओ, दो अपराजियाओ, दो चक्कपुराओ, दो खग्गपुराओ, दो अवज्झाओ, दो अउज्झाओ ३२, दो भद्दसालवणा, दो णंदणवणा, दो सोमणसवणा, दो पंडगवणाई, दो पंडुकंबलसिलाओ, दो अतिपंडुकंबलसिलाओ, दो रत्तकंबल सिलाओ, दो अतिरत्तकंबलसिलाओ, दो "मंदरा, दो मंदरचुँलिताओ । १०१. धयइसंडस्स णं दीवस्स वेदिया दो गाउयाइं उड्ढमुच्चत्तेणं पण्णत्ता । १०२. कालोदस्स णं समुद्दस्स "वेइया दो गाउयाई उडूंउच्चत्तेणं पण्णत्ता । १०३. पुक्खरवरवदी वडूर्षुरत्थिमद्धे णं मंदरस्स व्वयस्स उत्तरदाहिणेणं दो वासा पन्नत्ता बहुसमतुल्ला जीव भरहे चेव एरवए चेव, तैहेव जीव दो कुराओ पन्नत्ताओ० देवकुंरा चेव उत्तरकुरा चेव । तत्थ णं दो महतिमहौंलया ८ ८ १. दृश्यतामुपरितनं टिप्पणम् ॥ २. गंधा, दो पा० ला० । “ इमे विजया, तंजहा - बप्पे सुवप्पे महावप्पे चउत्थे वप्पयावई । वग्गू य सुवग्गू य गंधिले गंधिलावई ॥ रायहाणीओ इमाओ, तंजा - विजया वेजयन्ती जयन्ती अपराजिया चक्कपुरा खम्गपुरा हवइ अवज्झा अउज्झाय ॥ " इति जम्बूद्वीपप्रज्ञसौ व० ४ ॥ ३, ४ पुरीओ मु० ॥ ५. मंजु मु० ॥ ६. पोंड° क० विना ॥ ७. वई, दो पा० ॥ ८. अपराजिताओ मु० ॥ ९. दो अवराओ क० मु० । 'आसपुरा सहपुरा महापुरा चेव हवइ विजयपुरा । अवराइया य अरया असोग तह वीयसोगा य ।। " इति जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तौ व० ४ ॥ १०. यातो पा० ला० मु० । दृश्यतां पृ० ३७ टि० २॥ ११. मंदराभो क० । १२. चूलियाओ जे० । 'चूलाओ क० ॥ १३. धायति' जे० क० विना ॥ १४. वेइया क० ॥ १५. वेतिया पा० ॥ १६. पुरच्छिम नास्ति जे० ॥ १८, २०. दृश्यतां सू० ८०-८२ ॥ २१, २२. 'कुराए चेव जे० क० ॥ २३. 'लता क० विना ॥ Jain Education International मु० ॥ १७. पव्वयस्स १९. तहेव जाव नास्ति क० ॥ For Private & Personal Use Only ३७ ५ १० १५ www.jainelibrary.org
SR No.001147
Book TitleThanangsuttam and Samvayangsuttam Part 3 Tika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaydevsuri, Jambuvijay
PublisherMahavir Jain Vidyalay
Publication Year1985
Total Pages886
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Dictionary, agam_sthanang, & agam_samvayang
File Size15 MB
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