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संपादन-ईस्वीसन १९२४मां पूनाथी प्रकाशित ययेला 'जैन साहित्य-संशोधक' (खंड २, अंक ४, परिशिष्ट) मां 'स्त्रीमुक्तिकेवलिभुक्ति-प्रकरणयुग्मम्' ए नामे आ बे प्रकरणोनी मूळ मात्र कारिकाओ छपाई हती. मूळ हस्तलिखित प्रतिमा अनेक अशुद्धिओ होवा छतां, विद्वानोने आ कारिकाओ घणी उपयोगी थई छे. स्व० आगमप्रभाकर मुनिराज श्री पुण्यविजयजी महाराजे लगभग आठ-दश वर्ष पूर्व स्वोपज्ञवत्तिसहित आनं संपादन कार्य मने सोंप्यं हतं. आनी प्रतिओ संबंधमां सं० २०२३मां श्रावणसुदि सातमे अमदावादथी लखेला पत्रमा तेओश्रीए नोचे मुजब जणाव्यु हतुं--
"स्त्रोमुक्ति-केवलिभुक्तिनी एक नकल पाटणमां मूळ मात्रनी छे. बीजी एक नकल अतिजीर्ण हालतमा नाहटाजी पासे छ. आ बन्नेय नकलोने में बहु ज चोक्कसाईथी मेळवो छे. टोकानी नकल खंडित जे आपने मोकली छे ते खंभात शान्तिनाथ ज्ञानभंडारनो छे ते अनुमान चौदमा सैकाना पूर्वार्धमां लखेली छे. ते सिवाय बीजी एक ताडपत्रीय प्रतिनां त्रण-चार पानां नाहटाना संग्रहमाथी मळया हता. तेनो नकल आपणे करावी लोधी हती. जे आपणा पासे छे पण ते घणी अशुद्ध छे. आ पानां जोतां ज ख्याल आव्यो हतो के आ बे प्रकरणो उपर टोका पण रचाई छ. ज्यारे खंभात गयो त्यारे आपने जे प्रति मोकली छे ते जोतां आनंद थयो. खंडित होवा छतां घणो भाग होवाथी आनंद मान्यो."
आ० प्र० मुनिराजश्री पुण्यविजयजी महाराजे अनेक स्थळोना महत्त्वना प्राचीन ज्ञानभंडारोनो उद्धार करेलो होवाथी क्यों कई महत्त्वनी प्रति छे एनो एमने ज सविशेष ख्याल होवाथो में एमणे मोकलेली सामग्रोने आधारे आ ग्रंथनु संपादन करेलु छे. एकंदरे नीचे मुजब चार प्रतिओनो आधार आमा लेवायो छे. तेनो परिचय आ प्रमाणे छे--
P मुनिराजश्री पुण्यविजयजी महाराजे पाटणनी मळमात्रनी जे प्रतिनो उल्लेख उपरना पत्रमा कर्यो छे अने जेनी साथ मेळवीने-सुधारोने जैनसाहित्यसंशोधकनी मुद्रित कारिकाओ तेओश्रीए मारा उपर मोकली हती तेने आधारे घणां वर्षों पूर्व 'जैन साहित्यसंशोधक 'मां मळ कारिकाओ छपायेली हतो एवी मारी संभावना छे. आ पाटणनो प्रतिनी अमे P संज्ञा राखी छे.
N श्रीअगरचंदजी नाहटानी जे मूळ मात्रनी प्रतिने आधारे मुनिराज श्रीपुण्यविजयजी महाराजे जैन साहित्यसंशोधकमा मुद्रित पुस्तकमां पाठांतरो नोंधीने मारा उपर मोकलेला छे तेनी अमे N संज्ञा राखी छे.
S खंभातना श्री शान्तिनाथ जैनज्ञानभंडारनी ताडपत्रीय प्रति (नं. २७३) नी अमे S संज्ञा राखी छे. आमां प्रथम पत्र, १८, ३४, ४१, ४७, ४८, ४९, ५० आटलां पत्रो नथी. तथा ६१ पछीनां ग्रंथ समाप्ति सुधीनां छेल्लां जेटलां पत्रो होय ते बधां ज पत्रो नथी. उपरांत, ४० मुं पत्र अधु खंडित छे.
A अगरचंदजी नाहटाना ताडपत्रीय संग्रहमांथी मळेला मात्र त्रण पत्रो के जेमां सटीक स्त्रीनिर्वाण प्रकरणनो थोडो अंत भाग तथा सटीक केवलिभुक्तिप्रकरणनो प्रारंभनो अल्प भाग मळे छे. आ ३ पत्रनी अमे A संज्ञा राखी छे.
आ ग्रंथमा जे पाठ अमे कल्पनाथी सुधारेलो छे ते () आवा कौंसमां मकेलो छे, पण जे अमे उमेरेलो छे ते [ ] आवा ब्रेकेटमां मूकेलो छे.
कारिका - जैन साहित्य संशोधकमां स्त्रीनिर्वाणप्रकरणनी ४७ कारिकाओ तथा केवलिभुक्तिप्रकरणनी ३७ कारिकाओ छपायेली छे. स्व. मुनिराजश्री पुण्यविजयजी महाराजे N, P साथे मेळवीने स्त्रीनिर्वाणप्रकरणनी कारिका ४९ नोंधी छे. हकीकतमा टीका साथे मेळवतां केटलीक कारिकाओ स्पष्ट रीते आमां छटी जाय छे. 5 प्रतिमां कारिकाओना : साथे मिश्रित छे अने कारिका साथे संख्यांकनिर्देश कोई पण स्थळे करेलो नथी. एटले मळ कारिकाओ कई कई अने केटली? ते नक्की करवानुं अमने घणुं दुष्कर लाग्यु. छतां A प्रतिमां स्त्रीनिर्वाणनी छेल्ली त्रण कारिकाओ पासे ५२, ५३, ५४ एम अंकनिर्देश करेलो होवाथी ते पूर्वेनी कारिकाओनो संख्यांक अमारी कल्पनाथी गोठवीने स्त्रीनिर्णाणप्रकरणनी मूळ कारिकाओ प्रारंभनां ७ पृष्ठमा तथा १३ थी ३८ पृष्ठमा छापवामां आवी छे. जुओ पृ. १ टि. २, पृ० ३७ टि० ४. आ छपाया पछी बृहट्टिप्पणिकानो उल्लेख अमारा जोवामां आव्यो. जेना आधारे स्त्रीनिर्वाण-केवलिभुक्तिनी बधी मळी ९४ कारिकाओ थवी जोईए. अने सटीक ग्रंथ जोतां ९४नी संख्या बराबर मळी पण रहे छे. एटले अमे प्रथम परिशिष्टमां ए रीते अंक गोठवीने मूळ स्त्रीनिर्वाण प्रकरणनी ५७ कारिकाओ छापी छे. ते पछी परिशिष्टादिमां अमे ए ज अंकोने अनुसर्या छीए. N तथा P प्रतिमा केटलीक कारिकाओ ज नथी तेम ज कोईक कोईक स्थळे कारिकाक्रममा विपर्यास पण छे. (जुओ पृ० ६ टि० ३. पृ० ११ टि. १) एटले आ ग्रंथना संपादनमा अमे S ने ज मुख्यतया अनुसर्या छीए. प्रतिमां अनेक स्थळे पाठो अमने अशुद्ध
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