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तंदुलवैचारिकप्रकीर्णक (मनुष्य को सौ वर्ष वायु, सौ वर्ष विभाग
__ और आहार परिमाण आदि) (७६) हे आयुष्मन् ! वह यथानाम का कोई पुरुष स्नान करके, देवताओं की
पूजा करके, कौतुक-मंगल और प्रायश्चित करके, सिर से स्नान करके, गले में माला पहनकर, मणियों और स्वर्णाभूषों को धारण करके, नवीन
और बहुमूल्य-वस्त्र धारण करके, चन्दन से उपलिप्त शरीर वाला होकर, स्निग्ध, सुगंधित गौशीर्ष चन्दन से अनुलिप्त शरीर वाला . . होकर, शुद्ध मालाओं और विलोपन से युक्त हो, सुन्दर हार, अर्द्ध हार, ... तीन लड़ी वाले हार, लटकाते हुए सुन्दर कटिसूत्र (कन्दौरा) से शोभा
यमान होकर, वक्षस्थल पर ग्रैवेयक, अंगुलियों में सुन्दर मुद्रिकायें और भजाओं पर अनेक प्रकार को मणियों और रत्नों से जडित बाजबन्द से विभूषित होकर, अत्यधिक शोभा से युक्त, कुण्डलों से प्रकाशित (उद्योतित) मुखवाला, मुकुट से दीप्त मस्तक वाला, विस्तृत हार की छाया जिसके वक्षस्थल को सुख प्रदान कर रही हो, लम्बे सुन्दर वस्त्र के उत्तरीय को धारण कर अंगुठियों से पीत वर्ण की अँगुलियों वाला, विविध मणि, स्वर्ण, विशुद्ध रत्न युक्त, बहुमूल्य, प्रकाश-युक्त, सुश्लिष्ट, विशिष्ठ, मनोहर, रमणीय और वीरत्व का सूचक कड़ा धारण कर अधिक क्या कहना ? कल्पवृक्ष के समान, अलंकृत, विभूषित एवं पवित्र होकर अपने माता-पिता को प्रणाम करता है। तब उस पुरुष के माता-पिता ने इस प्रकार कहा हे पुत्र ! शतायु हो । किन्तु उसकी आयु (सौ वर्ष की) होती है (तो ही वह सौ
वर्ष जीता है अन्यथा नहीं) आयु से अधिक कैसे जी सकता है। . (७७) सौ वर्ष जीता हुआ वह बीस युग जीता है। बीस युग जीता हुआ
वह दो सौ अयन जीता है । दो सौ अयन जीता हुआ वह छः सौ ऋतु जीता है। छः सौ ऋतुओं को जीता हुआ वह बारह सौ महिने जीता है। बारह सौ महिने जीता हुआ वह चौबीस सौ पक्ष जीता है। चौबीस सौ पक्ष जीता हुआ वह छत्तीस हजार रात-दिन जीता है। छत्तीस हजार रात-दिन जीता हुआ, वह दस लाख अस्सी हजार मुहूर्त जीता है। दस लाख अस्सी हजार मुहूर्त जीता हुआ वह चार सौ सात करोड़ अड़तालीस लाख चालीस हजार श्वासोश्वास जीता है। चार सौ करोड़ श्वासोश्वास यावत् चालीस हजार श्वासोश्वास जीता
हुआ वह साढे बाईस तंदुलवाह' खाता है। १. अन्न का एक परिमाण विशेष जिसको व्याख्या आगे को गयी है।
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