SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 159
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रमेयरत्नमालायां काय कारणे वाऽन्तर्भावो विभाव्यते । न च तदुभयसम्भव;; कालव्यवधाने तदनुपलब्धः। सहभाविनोरेव तादात्म्यसम्भवात्, अनन्तरयोरेव पूर्वोत्तरक्षणयोर्हेतुफलभावस्य दृष्टत्वात्; व्यवहितयोस्तदघटनात् । ननु कालव्यवधानेऽपि कार्यकारणभावो दृश्यत एव; यथा जाग्रत्प्रबुद्धदशाभाविप्रबोधयोमरणारिष्टयोर्वेति । तत्परिहारार्थमाहभाव्यतीतयोमरणजाग्रद्बोधयोरपि नारिष्टोद्वोधाप्रतिहेतुत्वम्॥५८ सुगममेतत् । अत्रैवोपपत्तिमाह तद्वयापाराश्रितं हि तद्भावभावित्वम् ॥ ५९॥ हिशब्दो यस्मादर्थे । यस्मात्तस्य कारणस्य भावे कार्यस्य भावित्वं तद्भाव र्भाव होता है और तदुत्पत्ति सम्बन्ध के होने पर कार्य या कारण हेतु में अन्तर्भाव होता है। पूर्वचर और उत्तरचर हेतु में तादात्म्य और तदुत्पत्ति सम्बन्ध नहीं है, क्योंकि काल का व्यवधान होने पर इन दोनों सम्बन्धों की उपलब्धि नहीं होती है। सहभावियों में ही तादात्म्य सम्भव है, व्यवधान से रहित पूर्वोत्तर क्षण में हेतु और फलभाव (कारण-कार्य भाव ) देखा जाता है। जिनमें काल का व्यवधान है, उनमें तादात्म्य और कारण कार्य भाव घटित नहीं होता है। बौद्ध-काल का व्यवधान होने पर भी कार्य-कारणभाव देखा ही जाता है; जैसे-जाग्रत ( सोने से पूर्व की अवस्था ) और ( सोने के पश्चात् की अवस्था ) प्रबुद्ध दशा भावी प्रबोध तथा मरण एवं अरिष्ट में कार्य-कारणभाव देखा जाता है। बौद्धों के इस कथन का परिहार करने के लिए कहते हैं सूत्रार्थ-भावी मरण और अतीत जाग्रद् बोध के भी अरिष्ट ( अपशकून और उत्पत्ति ) और उद्बोध ( जाग्रत अवस्था का बोध ) के प्रति कारणपना नहीं है ।। ५८ ॥ यह सूत्र सुगम है। यहाँ युक्ति देते हैं सूत्रार्थ-कारण के व्यापार के आश्रित ही कार्य का व्यापार हुआ करता है ।। ५९ ॥ हि शब्द यस्मात् के अर्थ में है। क्योंकि कारण होने पर कार्य का होना Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001131
Book TitlePrameyratnamala
Original Sutra AuthorShrimallaghu Anantvirya
AuthorRameshchandra Jain
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1992
Total Pages280
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Nyay
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy