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परमार नरेशों ने प्रायः ८०० ई. से १३२० ई. तक शासन किया था । तत्कालीन मालवा की राजनीतिक, प्रशासनिक, आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक स्थितियों के ज्ञान के लिये अभिलेखों का महत्व सर्वथा उजागर है। इस प्रकार प्रस्तुत संकलन एवं समीक्षा द्वारा परमारों के सम्बन्ध में हमारे ज्ञान में पर्याप्त वृद्धि होती है।
इस ग्रन्थ के तैयार करने में मैंने पूर्वकालीन विभिन्न रिसर्च जर्नलों एवं ग्रन्थों का मुक्तहस्त , उपयोग किया है । मैं यह दावा नहीं करता कि इसमें पूर्ण मौलिकता है। यद्यपि यह सही है कि विश्लेषणात्मक रूप से इसमें समाविष्ट अनेक विचार एवं तर्कादि मेरे स्वयं के हैं।
भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद्, नई देहली ने इस ग्रन्थ को छापने हेतु आर्थिक सहायता प्रदान कर मुझे अनुग्रहीत किया है। साथ ही लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्यामंदिर, अहमदाबाद ने इस ग्रन्थ को छापकर अनुसंधान के कार्य को प्रगति प्रदान की । मैं इसके लिये इनका आभार मानता हूँ।
__अमरचन्य मित्तल
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