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________________ भोपाल अभिलेख सर्वानेतान्भाविनः पार्थिवेन्द्रान भूयो भूयो याचते रामभद्रः। सामा न्योयं धर्मसेतु पाणां काले काले पालनीयो भवद्भिः ॥१३॥ मद्वंसज्ञाः (जा) परम हीपति-वस (वंश)जा वा पापानिवृत्तमनसो भुवि भुवि भूपाः । ये पालया (य) न्ति मम धर्ममहं तु तेषां पादारविन्दयुगलं सि (शि) रसा नना (मा)मि ॥१४॥ इत्यायवचनक्र३९. ममवगम्य । कमलदलाम्वु (बु) बिन्दुलोलां श्रियमनुचिन्त्य मनुष्यजीवितं च । ___ कलमिदमुदाहृतं च वद्वा (बुद्धवा) न हि पुरुषैः परकीर्तयो विलोप्या ॥१५।। इति ।। स्वहस्तो४१. यं महाकुमार श्री उदयवर्मदेवस्य ।। दू श्री मण्डली (लि) क क्षेम्व (म) राजः ॥श्री।। __ अनुवाद (प्रथम ताम्रपत्र-पृष्ठभाग) १. ओं । स्वस्ति । जय व उदय हो। __ जो संसार के बीज के समान चन्द्र की कला को संसार की उत्पत्ति के हेतु मस्तक पर धारण करते हैं, मेघ ही जिनके केश हैं ऐसे महादेव सर्वश्रेष्ठ हैं ॥१॥ प्रलय काल में चमकने वाली विद्युत् की आभा जैसी पीली, कामदेव के शत्रु शिवजी की जटायें तुम्हारा कल्याण करें ।।२।। ३. परमभट्टारक महाराजाधिराज ४. परमेश्वर श्रीमत् यशोवर्मदेव के पादानुध्यायी परमभट्टारक महाराजाधिराज परमेश्वर ५. श्रीमत् जयवर्मदेव के राज्य के व्यतीत होने पर अपने हाथ में पकड़ी तलवार के प्रसाद से प्राप्त स्वयं का आधिपत्य । ६. समस्त ख्याति से युक्त पांच महाशब्दों के अलंकारों से शोभायमान महाकुमार श्रीमत् ७. लक्ष्मीवर्मदेव के पादानुध्यायी समस्त ख्याति से युक्त पांच महाशब्दों के अलंकारों से शोभायमान ८. महाकुमार श्री हरिश्चन्द्रदेव के पुत्र श्रीमत् उदयवर्मदेव विजय द्वारा उदयीमान होकर विंध्यमंडल में ९. नर्मदापुर प्रतिजागरणक वोडसिरस्तक अड़तालीस के मध्य में गुणौरा ग्राम के निवासियों १०. और आस पास के ग्राम के निवासियों, समस्त राजपुरुषों विषयिकों पटेलों ग्रामीणों विशिष्ट ब्राह्मणों को ११. आज्ञा देते हैं--आपको विदित हो कि हमारे द्वारा श्री विक्रम काल के बारह सौ छप्पनवें १२. अंकों में १२५६ वर्ष में बैसाख सुदि १५ पूर्णिमा तिथि को विशाखा नक्षत्र परिघ योग १३. रविवार महाविशाखा पर्व पर रेवा नदी के गुवाड़ा घाट पर स्नान कर पवित्र श्वेत वस्त्र पहिनकर देव Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001130
Book TitleParmaras Abhilekh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarchand Mittal, Dalsukh Malvania, Nagin J Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1979
Total Pages445
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Society
File Size9 MB
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