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________________ भोपाल अभिलेख २११ तन्वन्तु व[ : ] स्मराराते[ : ] कल्याणमनिसं (शं) जटाः । कल्पान्त समयोद्दामतडी- .. ... द्वलय पिंगलाः ॥२॥ परमभट्टारक-महाराजाधिराज-परमेस्व (श्व) र श्री नरवर्मदेव-पादानु[ध्या]४. त-परमभट्टारक-महाराजाधिराज-परमेस्व (श्व) रं-श्री यशोवर्मदेव-पादानुध्यात-समस्त-प्र५. स (श)स्तोपेत-समधिगत-पंचमहाशन (6) दालंकार-विराजमान-महाकुमार-श्री त्रौ (त्र)लोक्यवर्म- देव-पादा (द)प्र६. सादावाप-विज्ञा (जया) धिपत्ये (त्यः)-समस्त-प्रस (श) स्तोपेत-समधिगत-पंचमहाश०() दालंकार• विराजमान-मा (म)हाकुमार-श्रीहरि७. चन्द्रदेवो महाद्वादशक-मण्डले विखिलपद्र-द्वादशक-संव (ब) द्धः दादरपद्रगाम-निवासिनः प्रतिग्राम ८. वासिन[]च-राजपुरुष-विषयिक-पट्टकिलजनपदादीन् वा (ब्राह्मणोत्तरान्वोधयत्यस्तु वः संविदितं य९. दिह मया श्रीभैलस्वामिदेव पुरस्थिते[न] श्रीमद्विक्रमकालातीत्-चतुईसा (शा)धिक-द्वादशस (श) तांत[:]पातिसंवत्स१०. रे कात्तिके (क) सुदि पूणिमायां संजातसोमग्रहण सर्वग्रासपर्वणि कलि कशुषहारिणि वेत्रावती वारिणि स्ना११. त्वा देवर्षिमनुष्यपितॄन् संतH चराचरगुरुं भगवन्तं भवानीपति दपिप]तदनुजेन्द्रनिद्राहरं हरि च समभ्यर्च्य तिला१२. न्नाज्याहुति[भिहि[र]ण्यरेतसं हुत्वा जगदानन्दायिने शसि (शि)ने अचं विधाय सवत्सकपिलां त्रिः प्रदक्षिणीकृ१३. त्य आकल[ज्य] (य्य) संसार[स्था]सारतां परिलुलित-कमलदलत लजललवचलमालक्ष्य यौवनं यौवनमदमत्त-वाणि१४. [न]ीभ्रूभंगभंगुरमवलोक्य द्रविणं द्रविणकणिकानुशरण विवश विषविलासिनी चित (त्त) चञ्च लमधिगम्य जीविते (तं)। १५. उक्तं च। वाताभ्रविभ्रममिदं भुवनाधिपत्य मापातमात्र-मधुरो विषयोपह भोगः। प्राणास्तृणाग्रजलविन्दुसमा नराणां धर्मः सखा परमहो परलोकयाने ॥३।। सा! ]कृत्यगोत्राय अग्निहोत्रिक-श्रीभारद्वाजसुत-[ता]वस्थि (सथि)क श्रीधराय पद १ भा१७. रद्वाजगोत्राय त्रिपाटि (ठि)नारायणसुत-त्रिपाटि (ठि) गर्तेस्व (श्व) राय पद १ कृष्णात्रेयगोत्राय द्विवेद-क्षीरस्वामिसुत-द्वि१८. वेदुद्धि]रणाय पद १ अद्वाहगोत्राय द्विवेद व[त्व] (त्स)सुत-द्विवेद यसो (शो)धवलाय पद १ कास्य (श्य)पगोत्राय १९. आवस्थि (सथि) क-देल्हसुत-पं-मधुसूदनाय पद १ शौनक गोत्राय द्विवेदसीलेसुत-द्विवेद-पाहुलाय पद १ का२०. स्य (श्य)प-गोत्राय अवस्थि (सथि)क दे[ह]-सुत-पं-सोमदेवाय पद १ अद्वाहगोत्राय द्विवेद यशोधवल-सु२१. त-द्विवेद-पा[ल्ह]काय पद १ [गौत]म-गोत्राय-पं-धामदेवसुत-पं-रणपालाय पद १ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001130
Book TitleParmaras Abhilekh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarchand Mittal, Dalsukh Malvania, Nagin J Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1979
Total Pages445
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Society
File Size9 MB
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