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परमार अभिलेख
अक्षरों की बनावट १२वीं सदी की नागरी लिपि है। अक्षर सुन्दर ढंग से खुदे हैं। इनकी लम्बाई प्रायः १ सें. मी. है। भाषा संस्कृत है एवं उपलब्ध सारा खण्ड पद्यमय है। इसमें श्लोक क्र. १८, १९, २२ व २६ अंकित हैं, परन्तु सभी श्लोक अधूरे हैं। व्याकरण के वर्णविन्यास की दृष्टि से ब के स्थान पर व, म् के स्थान पर अनुस्वार है । ए ओ की मात्राए पंक्ति के ऊपर लगी हैं, परन्तु ऐ औ के लिए पृष्टमात्राएं हैं।
अभिलेख के अलंकारिक स्वरूप को देखते हए यह एक प्रशस्ति लगती है। इसका ध्येय संभवतः किसी देवालय के निर्माण का उल्लेख करना है। यदि यह ठीक है तो देवालय का निर्माण
रमार वंशीय निर्वाणनारायण द्वारा करवाया गया था। भिलसा अभिलेख (क्र. ४०) से ज्ञात है कि निर्वाणनारायण वास्तव में नरेश नरवर्मन का अन्य नाम था। पंक्ति क्र. ७ में मुंज (वाक्पति द्वितीय) का उल्लेख है। अभिलेख, में कोई तिथि नहीं है परन्तु लिपि आदि के आधार पर इसको नरवर्मन् के शासनकाल में रखा जा सकता है ।
अभिलेख की प्रथम ५ पंक्तियों में किसी एक नरेश अथवा नरेशों द्वारा अपनी विजयी सैनिकों सहित उत्तर दिशा में सरयु नदी पर अयोध्या नगरी व हिमालय तक, पश्चिम दिशा में द्वारिका तक, दक्षिण दिशा में मलयगिरी व सुदूर लंका तक जाने का विवरण है। यह सारा ही पारम्परिक प्रतीत होता है एवं किसी ऐतिहासिक तथ्य की जानकारी नहीं मिलती। ____ अभिलेख में निर्दिष्ट भौगोलिक स्थल सर्वविदित एवं प्रख्यात हैं ।
(मूल पाठ) १. • • • • • [रा] देको • • • • • • • • • तत्रा' • • २. . . वगाहय सरयूं जित्वाश्रमं सैनिक: साकेतोपवनावलीषु करणा. . . ३. . . “हिक्लमं नीते कांतैः सह मलयशैले युवतिभिः । यदातंकाल्लंका[ति?]. . . ४. · · · श्रुत्वा वृत्तमेतद्व (द)लिदमन कृतं कीतितं पूर्वविद्भिः पर्यन्ते द्वारकाया' .. ५. · · 'विदा नूनं येन हिमाद्रिमूर्द्ध नि शिथिली चक्रेलका वग्रहः ॥१८॥ . . ६. · · १९।। तस्मिन्विश्लेषशुष्य त्रिदिवपुरपुनः] प्रीतिसत्रोत्सता. . . ७. · · 'जिश्रियः संयति प्रोत्खायोत्किरतोडुविभ्रमभृतो मुं[ज] . . . ८. · · दरातयः ।।२२।। वैधव्यं विजयश्रियो रणभु[वि] . . . ९. · · ·पचर्यमाणः । निर्वाणनारायण इत्य[भा]. . १०. . . 'लकेनागा [त्रि]शंकोद्दिशं (शम्) ।।२६।। . . . ११. · · · [र?] णम” (स)णिता हमज (ब्ज) पी[तो?] . . . १२. . . पालभाल स्थलीति (?) . . १३. · · ·णमालिनि... १४. . . . . . (?) . . .
(अनुवाद) १. . . . . “अकेला . . . . . वहां · · · २. . . सैनिकों के साथ सरयु में प्रवेश कर, थकावट दूर कर, साकेत की उपवन पंक्तियों में .. ३. . . मलय पर्वत पर अपने प्रियतमों के साथ युवतियां थक चुकी थीं। जिसके आतंक से लंका... ४. . . 'पूर्व विद्वानों के द्वारा वणित बलिराजा के दमन के इस वृत्तान्त को सुन कर द्वारका के आस
पास...
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