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प्रस्तावना
नयचक्र तथा वृत्तिमां उद्धृत करेला वैशेषिकसूत्रना पाठो घणा प्राचीन छ । आमां उद्धृत करेला केटलांक सूत्रो अत्यारे प्रचलित उपस्कारादिसम्मत वैशेषिकसूत्रपाठमा छ ज नहिं, ज्यारे केटलांक सूत्रो थोडा घणा पाठभेद साथे नजरे पडे छ । उपस्कारनी रचना शंकरमिश्रे विक्रमनी प्रायः सोळमी शताब्दीमां करेली छे ते पूर्वे रचायेला दर्शनशास्त्रोना अनेक ग्रंथोमां उद्धृत करेलां वैशेषिकसूत्रो अने उपस्कारसंमत पाठ वच्चे अनेकस्थळे अंतर पडे छ । परंतु पांचमो अर छपाई गया पछी वैशेषिकसूत्रनी एक बहु ज प्राचीन वृत्तिनी हस्तलिखित प्रति जेसलमेरना जैनभंडारमांथी मळी आवी हती, तेमां प्राचीन वैशेषिकसूत्रपाठ पण अलग आपेलो छ अने साथे साथे चन्द्रानन्दरचित वृत्ति पण एमां । नयचक्रमा तथा बीजा पण प्राचीन दर्शनशास्त्रोमां उद्धृत करेलां बधां ज वैशेषिकसूत्रो आ प्रतिमां लगभग अक्षरशः मळे छे' । अत्यारे मळती वैशेषिकसूत्रनी तमाम वृत्तिओमां आ वृत्ति सौथी प्राचीन छ', एटले एनुं महत्त्व समजीने अमे अमारा आ नयचक्र ग्रंथमां जुदा जुदा टिप्पणोमां ए चन्द्रानन्दरचित वृत्ति सहित वैशेषिकसूत्रने संपूर्ण छापी दीधुं छे, जुओ वैशेषिकसूत्रसंबंधि परिशिष्ट टिपृ. १४१।
मीमांसा-मीमांसकमतनी चर्चा प्रथम तथा बीजा अरमां विशेषे करीने छ । तेमां जैमिनिप्रणीत मीमांसादर्शननां सूत्रोनो तथा वेद आदि ग्रंथोना पाठोनो उल्लेख छ । मीमांसादर्शननी शाबरभाष्य जेवी प्राचीन वृत्तिओने पण ग्रंथकारे सामे राखी हशे एम लागे छे'। मीमांसादर्शनना प्रसिद्ध पंडित कुमारिल अने प्रभाकरथी मल्लवादी तथा सिंहसूरि बन्ने पूर्ववर्ती छ । एटले तेमना नयचक्रमां तथा नयचक्रवृत्तिमा जे कई मीमांसकमतनी चर्चा छे ते मीमांसादर्शनना प्राचीन ग्रंथोने अनुलक्षीने छ ।
अद्वैतवाद-अद्वैतवादनी चर्चामा पुरुष, नियति, काल, स्वभाव, भाव वगेरे अनेक अद्वैतवादोनी चर्चा बीजा अरमां छे, ए जोतां ते समये घणा अद्वैतवादो प्रचलित हता एम जणाय छ। एमां पुरुषाद्वैतवादनी चर्चामां अनेक पाठो वेद तथा उपनिषदोमाथी उद्धृत करेला छे । वेदान्तदर्शनना प्रसिद्ध ग्रंथ बादरायणप्रणीत ब्रह्मसूत्रनो आमां कोई पण स्थळे उल्लेख नथी, परन्तु “तव्यतिरिक्ताः शासनिनः कपिल-व्यास-कणादशौद्धोदनि-मस्करिप्रभृतयः" आ प्रमाणे व्यासनो नामोल्लेख नयचक्रवृत्ति पृ०८ पं०५ मां छे। महाभारत तथा गीताना प्रणेता व्यासऋषि प्रसिद्ध छ । ब्रह्मसूत्रना रचयिता बादरायणर्नु पण बीजुं नाम व्यास छ। महाभारतना कर्ता व्यास अने ब्रह्मसूत्रना कर्ता व्यास बंने एक ज छे के भिन्न छ ए विषे विद्वानोमां मतभेद छ । अहीं नयचक्रवृत्तिमा व्यास शब्दथी कोई पण व्यास विवक्षित होय एवो संभव छ । नियति आदि
१ जुओ अमे संपादित करेला वैशेषिकसूत्रनुं वृद्धिपत्रक पृ. २२९-२६४ ॥ २ वैशेषिकसूत्र ६।२।४ नी वृत्तिमा चन्द्रानन्दे उद्दयोतकरनो उल्लेख कर्यो छे एटले चन्द्रानन्द न्यायवार्तिककार उद्योतकर पछी छे ए निश्चित छ। ९।२१ सूत्रनी वृत्तिमा एक वृत्तिकारनो पण उल्लेख छ। वैशेषिकसूत्र उपर घणी वृत्तिओ रचाएली हती, एटले एमां ए वृत्तिकार कोण छे ते कई कही शकातुं नथी। संभव छे के ए वृत्तिकार प्रशस्तमति पण होय। मिथिलाविद्यापीठे विक्रम सं० २०१३ मा प्रकाशित करेली अज्ञातकर्तृकव्याख्या तथा शंकर मिश्रे रचेलो उपस्कार वगेरे बधी ज वृत्तिओ चन्द्रानन्द पछी घणा समये रचाएली छ । वैशेषिक सूत्रना ८, ९, तथा १० मा अध्यायमां चंद्रानंदे आह्निक विभाग पाड्यो नथी, ए खास ध्यानमा लेवानी हकीकत छ। सर्वदर्शनसंग्रहमा माधवाचार्य वैशेषिकसूत्रनुं स्वरूप वर्णव्यु छे त्यां पण ८, ९ तथा १० मा अध्यायमा आह्निकविभाग बतान्यो नथी, ए खास बतावी आपे छे के चन्द्रानन्दनी वृत्तिमां केवी प्राचीन परंपरा सचवाएली छे। विशेष जिज्ञासुओए अमे संपादित करेला वैशेषिकसूत्रनां प्रथम, द्वितीय, चतुर्थ परिशिष्टो तथा प्रस्तावना जोई लेवा ॥ ३ जुओ प्राकथन पृ० २० टि. ६.७॥४जुओ नयचक्र पृ० ११९ टि.८॥ ५ जुओ प्राकथन पृ० २. टि. ८॥
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