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________________ श्री अनुयोगद्वारसूत्रस्य द्वितीयविभागस्य अष्टमं परिशिष्टम् - विश्वप्रहेलिकानुसारेण १५८ विश्व की आकृति पूर्ण गोला के समान होने से, गोलाकारीय' विश्व का आयतन = (त्रिज्या)३ = 1 2 (१०६८ x १०६ x ५.८८ x १०१२)३ घन माईल = १०३७ x १०६३ घन माईल यदि इस आयतन का जैन दर्शन के लोक आयतन ३४३ घन रज्जु के साथ समीकार किया जाये, तो १ रज्जु = १.४५ x १०२१ माईल होता है । और यदि २३९ घन रज्जु के साथ समीकार किया जाय, तो १ रज्जु = १.६३ x १०२१ माईल होता है । कोलबुक द्वारा दी गई व्याख्या का श्री जैन ने इस प्रकार उपयोग किया है : १ योजन = ४००० माईल और १ क्षण = १ प्रतिविपलांश' = ५४०००० मिनिट अतः २,०५७,१५२ योजन = ८,२२८,६०८,००० माईल तथा ६ महीने = ६ x ३० x २४ x ६० x ५४०००० प्रतिविपलांश .. ६ महीने उक्त वेग से गति करने से तय की गई दूरी = ८,२२८,६०८,००० x ६ x x २४ x ६० x ५४०००० माईल = १.१५ x १०२१ माईल अर्थात् इस विधि से १ रज्जु = १.१५ x १०२१ माईल होता है । १. यह सूत्र (Formula) युक्लिडीय भूमिति के लिए है, जबकि आईन्स्टीन के विश्व में युक्लिडियेतर भूमिति के सूत्र का उपयोग होना चाहिए । यह सूत्र इस प्रकार है : यदि त्रिगोलाकारीय विश्वाकाश की त्रिज्या हो, तो आयतन = २ २त्रि ३ यह आयतन युक्लिडीय भूमिति के सूत्र से निकाले गये आयतन से अधिक होता है। गोलाकारीय विश्व-आकाश का अर्थ 'युक्लडीय गोला' कहना गलत होगा। इस विषय की चर्चा के लिए देखें, दी एक्सपाण्डिग युनिवर्स, ले० सर आर्थर एडिंग्टन; पृ०७१। २. प्रतिविपलांश से लेकर घडी तक का मान-कोष्ठक इस प्रकार है : ६० प्रतिविपलांश = १ प्रतिविपल ६० प्रतिविपल = १ विपल ६० विपल = १ पल । ६० पल = १ घडी - २४ मिनट . .:. १ मिनट = ६० x ६० x ६० x ६० २४ = ५४०००० प्रतिविपलांश - देखें, कोस्मोलोजीओल्ड एण्ड न्यू, पृ०११७, टिप्पण। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001107
Book TitleAgam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Part 02
Original Sutra AuthorAryarakshit
AuthorJambuvijay
PublisherMahavir Jain Vidyalay
Publication Year2000
Total Pages560
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_anuyogdwar
File Size11 MB
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