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________________ ५३१ आ.श्रीजिनदासगणिविरचितचूर्णि-हरिभद्रसूरिविर०विवृति-मल० हेमचन्द्रसूरिविर०वृत्तिभिः समेतम् भणति-जंभणसि-पंचविहो पदेसो तं न भवइ, कम्हा? जइ ते पंचविहो पएसो एवं ते एक्केको पएसो पंचविहो एवं ते पणुवीसतिविहो पदेसो भवति, तं मा भणाहि-पंचविहो पएसो, भणाहि-भतियव्वो पदेसोसिया धम्मपदेसो सिया अधम्मपदेसो सिया आगासपदेसो सिया 5 जीवपदेसो सिया खंधपदेसो । एवं वयंतं उजुसुयं संपति सद्दणओ भणति-जंभणसि भइयव्वो पदेसो तं न भवति, कम्हा? जइ ते भइयव्वो पदेसो एवं ते धम्मपदेसो वि सिया अधम्मपदेसो सिया आगासपदेसो सिया जीवपदेसो सिया खंधपदेसो १, अधम्मपदेसो वि सिया धम्मपदेसो सिया.आगासपएसो सिया जीवपएसो सिया खंधपएसो २, आगासपएसो 10 वि सिया धम्मपदेसो सिया अहम्मपएसो सिया जीवपएसो सिया खंधपएसो ३, जीवपएसो वि सिया धम्मपएसो सिया अधम्मपएसो सिया आगासपएसो सिया खंधपएसो ४, खंधपएसो वि सिया धम्मपदेसो सिया अधम्मपदेसो सिया आगासपदेसो सिया जीवपदेसो ५, एवं ते अणवत्था भविस्सइ, तं मा भणाहि-भइयव्वो पदेसो, भणाहि-धम्मे 15 पदेसे से पदेसे धम्मे, अहम्मे पदेसे से पदेसे अहम्मे, आगासे पदेसे से पदेसे आगासे, जीवे पदेसे से पदेसे णोजीवे, खंधे पदेसे से पदेसे णोखंधे। एवं वयंतं सद्दणयं समभिरूढो भणति-जं भणसि-धम्मे पदेसे से पदेसे धम्मे जाव खंधे पदेसे से पदेसे नोखंधे, तं न भवइ, कम्हा? एत्थ दो समासा भवंति, तंजहा-तप्पुरिसे य कम्मधारए य, तं ण णजइ कतरेणं समासेणं भणसि ? किं तप्पुरिसेणं किं कम्मधारएणं ?, जइ तप्पुरिसेणं भणसि तो मा एवं भणाहि, अह कम्मधारएणं भणसि तो विसेसओ भणाहि-धम्मे य से पदेसे य से से पदेसे धम्मे, अहम्मे य Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001107
Book TitleAgam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Part 02
Original Sutra AuthorAryarakshit
AuthorJambuvijay
PublisherMahavir Jain Vidyalay
Publication Year2000
Total Pages560
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_anuyogdwar
File Size11 MB
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