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________________ ४०५ आ.श्रीजिनदासगणिविरचितचूर्णि-हरिभद्रसूरिविर०विवृति-मल० हेमचन्द्रसूरिविर०वृत्तिभिः समेतम् तेणं तुण्णागदारएणं तस्स तंतुस्स उवरिल्ले पम्हे छिण्णे से समए ? ण भवति । कम्हा ? जम्हा अणंताणं संघाताणं समुदयसमितिसमागमेणं एगे पम्हे णिप्फजइ, उवरिल्ले संघाते अविसंघातिए हेडिल्ले संघाते ण विसंघाडिजति, अण्णम्मि काले उवरिल्ले संघाए विसंघातिजइ अण्णम्मि 5 काले हेडिल्ले संघाए विसंघादिजइ, तम्हा से समए ण भवति । एत्तो वि णं सुहुमतराए समए पण्णत्ते समणाउसो !। [सू० ३६७] असंखेजाणं समयाणं समुदयसमितिसमागमेणं सा एगा औवलियं त्ति पवुच्चइ । संखेजाओ आवलियाओ ऊसासो । संखेजाओ आवलियाओ नीसासो । 10 हट्ठस्स अणवगल्लस्स निरुवकिट्ठस्स जंतुणो । एगे ऊसास-नीसासे एस पाणु त्ति वुच्चति ॥१०४॥ सत्त पाणूणि से थोवे, सत्त थोवाणि से लवे । लवाणं सत्तहत्तरिए एस मुहुत्ते वियाहिए ॥१०५॥ तिण्णि सहस्सा सत्त य संयाणि तेहत्तरं च उस्सासा । एस मुहुत्तो भणिओ सव्वेहि अणंतनाणीहिं ॥१०६॥ एतेणं मुहत्तपमाणेणं तीसं मुहुत्ता अहोरत्ते, पण्णरस अहोरत्ता पक्खो, दो पक्खा मासो, दो मासा उऊ, तिण्णि उऊ अयणं, दो अयणाई संवच्छरे, पंचसंवच्छरिए जुगे, वीसं जुगाई वाससयं, दस वाससताई वाससहस्सं, सयं वाससहस्साणं वाससतसहस्सं, चउरासीई 20 वाससयसहस्साइं से एगे पुव्वंगे, चउरासीतिं पुव्वंगसतसहस्साइं से एगे पुव्वे, चउरासीइं पुव्वसयसहस्साइं से एगे तुडियंगे, चउरासीई तुडियंगसयसहस्साइं से एगे तुडिए, चउरासीइं तुडियसयसहस्साइं से एगे अडडंगे, चउरासीई अडडंगसयसहस्साइं से एगे अडडे, चउरासीई ज Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001107
Book TitleAgam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Part 02
Original Sutra AuthorAryarakshit
AuthorJambuvijay
PublisherMahavir Jain Vidyalay
Publication Year2000
Total Pages560
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_anuyogdwar
File Size11 MB
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