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अनुयोगद्वारसूत्रम् [सू० २६०] सजेण लहइ वित्तिं कयं च न विणस्सई। गावो पुत्ताय मित्ताय नारीणं होति वल्लहो १॥३२॥ रिसहेणं तु एसजं सेणावच्चंधणाणिय। वत्थ गंधमलंकारं इत्थीओ सयणाणि य २॥३३॥ गंधारे गीतजुत्तिण्णावजवित्ती कलाहिया। हवंति कइणोपण्णाजे अण्णे सत्थपारगा ३॥३४॥ मज्झिमसरमंता उ हवंति सुहजीविणो। खायती पियती देती मज्झिमस्सरमस्सिओ४॥३५॥ पंचमस्सरमंता उहवंतीपुहवीपती। सूरा संगहकत्तारो अणेगणरणायगा५॥३६॥ धेवयसरमंता उ हवंति कलहप्पिया। साउणिया वग्गुरिया सोयरियामच्छबंधाय६॥३७॥ चंडाला मुट्ठिया मेता, जे यऽण्णे पावकारिणो।
गोघातगाय चोराय नेसातं सरमस्सिता७॥३८॥ [६] एतेसि णं सत्तण्हं सराणं तयो गामा पण्णत्ता। तंजहा-सजग्गामे १, 15 मज्झिमग्गामे २, गंधारग्गामे ३। [७] सजग्गामस्स णं सत्त मुच्छणाओ पण्णत्ताओ। तं जहा -
मंगी कोरव्वीया हरी य रयणी य सारकंताय।
छट्ठीय सारसी दामसुद्धसज्जा यसत्तमा॥३९॥ [८] मज्झिमग्गामस्सणं सत्त मुच्छणाओ पण्णत्ताओ। तंजहा -
उत्तरमंदारयणी उत्तरा उत्तरायसा(ता)। अस्सोकंताय सोवीरा अभीरूभवति सत्तमा॥४०॥
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