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________________ अनुयोगद्वारसूत्रम् [ सू० २३३-२५९] [सू० २५३] कतरे से नामे उदइए उवसमनिप्पन्ने ? उदए त्ति मणूसे उवसंता कसाया, एस णं से णामे उदइए उवसमनिप्पन्ने १। कतरे से नामे उदइए खयनिप्पन्ने ? उदए त्ति मणूसे खतियं सम्मत्तं, एस णं से नामे उदइए खयनिष्पन्ने २। कतरे से णामे उदइए खयोवसमनिप्पन्ने ? उदए त्ति मणूसे खयोवसमियाइंइंदियाई, एसणंसेणामे उदइएखयोवसमनिप्पन्ने ३। कतरे 5 सेणामे उदइए पारिणामियनिप्पन्ने? उदएत्तिमणूसे पारिणामिएजीवे, एस णं से णामे उदइए पारिणामियनिष्पन्ने ४ । कयरे से णामे उवसमिए खयनिप्पन्ने ? उवसंता कसाया खइयं सम्मत्तं, एस णं से णामे उवसमिए खयनिप्पन्ने ५ । कयरे से णामे उवसमिए खओवसमनिप्पण्णे ? उवसंता कसाया खओवसमियाइं इंदियाइं, एस णं से णामे उवसमिए 10 खओवसमनिप्पन्ने ६ । कयरे से णामे उवसमिए पारिणामियनिप्पन्ने ? उवसंता कसाया पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे उवसमिए पारिणामियनिप्पन्ने ९। कतरे से णामेखइएखओवसमियनिप्पन्ने? खइयं सम्मत्तं खयोवसमियाइं इंदियाई, एसणं से णामे खइएखयोवसमनिप्पन्ने ८। कतरे से णामे खइए पारिणामियनिप्पन्ने ? खइयं सम्मत्तं पारिणामिए 15 जीवे, एसणंसेणामेखइएपारिणामियनिप्पन्ने९। कतरेसेणामेखयोवसमिए पारिणामियनिप्पन्ने? खयोवसमियाइंइंदियाइंपारिणामिए जीवे, एसणंसे णामे खयोवसमिए पारिणामियनिप्पन्ने १०। [सू० २५४] तत्थ णं जे ते दस तिगसंजोगा ते णं इमे-अत्थि णामे उदइए उवसमिए खयनिप्पन्ने १, अत्थि णामे उदइए उवसमिए 20 खओवसमनिप्पन्ने २, अत्थिणामे उदइएउवसमिए पारिणामियनिप्पन्ने ३, अत्थिणामे उदइए खइए खओवसमनिप्पन्ने ४, अत्थि णामे उदयिएखइए Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001106
Book TitleAgam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Part 01
Original Sutra AuthorAryarakshit
AuthorPunyavijay, Jambuvijay
PublisherMahavir Jain Vidyalay
Publication Year1999
Total Pages540
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, G000, G010, & agam_anuyogdwar
File Size11 MB
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