SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 382
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अनुयोगद्वारसूत्रम् [सू० २१७-२२६] २६७ जीवत्थिकाए ४, पोग्गलत्थिकाए ५, अद्धासमए ६अ। से तं दव्वणामे। [सू० २१९] से किंतंगुणणामे ? गुणणामे पंचविहे पण्णत्ते। तंजहावण्णणामे १, गंधणामे २, रसणामे ३, फासणामे ४, संठाणणामे ५। [सू० २२०]से किंतंवण्णनामे? वण्णनामे पंचविहेपण्णत्ते। तंजहाकालवण्णनामे१, नीलवण्णनामे२,लोहियवण्णनामे ३, हालिद्दवण्णनामे 5 ४, सुक्किलवण्णनामे ५। से तंवण्णनामे। . [सू० २२१] से किं तं गंधनामे ? गंधनामे दुविहे पण्णत्ते । तं जहासुरभिगंधनामे य १, दुरभिगंधनामे य २। सेतं गंधनामे। [सू० २२२] से किं तं रसनामे ? रसनामे पंचविहे पण्णत्ते। तंजहातित्तरसणामे १, कडुयरसणामे २, कसायरसणामे ३, अंबिलरसणामे ४, 10 महुररसणामे य५। सेतं रसनामे। [सू० २२३]से किंतंफासणामे? फासणामे अट्ठविहे पण्णत्ते।तंजहाकक्खडफासणामे१, मउयफासणामे,२गरुयफासणामे३, लहुयफासणामे ४, सीतफासणामे ५, उसिणफासणामे ६, णिद्धफासणामे ७, लुक्खफासणामे ८। सेतं फासणामे। [सू० २२४] से किं तं संठाणणामे ? संठाणणामे पंचविहे पण्णत्ते। तंजहा-परिमंडलसंठाणणामे १, वदृसंठाणणामे २, तंससंठाणणामे ३, चउरंससंठाणणामे ४ ,आयतसंठाणणामे ५ । सेतं संठाणणामे । सेतं गुणणामे। [सू० २२५] से किं तं पंजवनामे ? पजवनामे अणेगविहे पण्णत्ते। 20 15 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001106
Book TitleAgam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Part 01
Original Sutra AuthorAryarakshit
AuthorPunyavijay, Jambuvijay
PublisherMahavir Jain Vidyalay
Publication Year1999
Total Pages540
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, G000, G010, & agam_anuyogdwar
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy