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________________ २२८ } [ पुरुषार्थसिद्धय गाय अधिक प्राण नष्ट किये जायगे उतनी ही अधिक हिंसा उसके मारनेवाले को लगेगी । स्थावर जीवकी अपेक्षा द्वींद्रिय आदि में क्रमसे अधिक प्राण होते हैं इसलिये उनके वध करनेमें अनंतगुणित पाप भी बढ़ता जाता है । इसलिए वनस्पतिमें रहनेवाले जीवकी अपेक्षा जबकि द्वींद्रिय शंखमें और त्रींद्रिय चिंउटी आदिमें बहुत अधिक हिंसा है तो पंचेंद्रिय संज्ञी पशुके घात करने में तो महान् पाप है । दूसरे एकेंद्रिय जीवका अन्न वनस्पति आदिसे भिन्न कोई शरीर नहीं है और न उसके संहनन है अतएव उसके रुधिर मांस हड्डी आदि भी नहीं है । इसलिये अन्न वनस्पतिके भक्षण में मांसका दोष नहीं लगता है । परन्तु त्रस जीवोंके भक्षणमें मांस भक्षण है कारण उनके संहनन होनेसे मांस रुधिर मज्जा हड्डी आदि सभी शरीरपिंड हैं । शरीरपिंडका भक्षण ही मांसभक्षण है। एकेद्रियके उस पदार्थसे भिन्न कोई शरीरपिंड नहीं होता । तीसरे यह हेतु भी अकिंचित्कार-व्यर्थ है कि प्राणवध एकेंद्रियमें भी है और पंचेंद्रियमें भी है इसलिये दोनोंका भक्षण समान है, कारण न तो प्राणिवध दोनोंमें समान है और न रागक्रिया समान है। एकद्रियका प्राणिवध अशक्यानुष्ठानवश सुतरां होता है उसके लिये हिंसा करनेके भाव भी नहीं होते; किंतु आरम्भमात्रमें एकेंद्रियका विघात है इसलिये वहांपर संकल्पीहिंसा नहीं है परन्तु पंचेंद्रियके घातमें संकल्पीहिंसा है वहां एक जीवका जान बूझकर वध किया जाता है इसलिये उसके मारनेमें तीब्र रागक्रिया है वह अनन्त पापबंध करनेवाली है । एकेंद्रियका विघात सुतरां होता है इसलिये वहां न संकल्पी हिंसा है और न तीव्रराग ही है । एकेन्द्रियका विघात तो स्वयं होता है, पंचेंद्रियका विघात प्रयोग एवं विचारपूर्वक किया जाता है । इसीलिये वह संकल्पी हिंसा है । अतएव दोनोंमें प्राणवध भी समान नहीं है । एकमें रागकी तीव्रता है एकमें उसके लिये रागभाव नहीं है, जैसे कि स्त्री माता भी है और स्त्री अपनी स्त्री भी है । दोनोंमें स्त्रीपन रहनेपर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001104
Book TitlePurusharthsiddhyupay Hindi
Original Sutra AuthorAmrutchandracharya
AuthorMakkhanlal Shastri
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1995
Total Pages460
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Principle
File Size11 MB
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