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४ : प्रमाण-परीक्षा जैन तर्कशास्त्रमें अनुमान-विचार, ४. लोकविजय-यन्त्र, ५. प्रमाण-जयनिक्षेप-प्रकाश, ६. देवागम (आप्तमीमांसा), ७. रत्नकरण्डकश्रावकाचार, ८. समाधिमरणोत्साहदीपक, ९. तत्त्वानुशासन, १०. प्रमेयकण्ठिका, ११. नयी किरण : नया सवेरा, १२. जैनधर्म-परिचय, १३. आरम्भिक जैनधर्म, १४. करणानुयोगप्रवेशिका, १५. द्रव्यानुयोगप्रवेशिका, १६. चरणानुयोगप्रवेशिका, १७. महवीर-वाणी, १८. भ. महावीरका जीवनवृत्त, १९. मङ्गलायतनम् और २०. ऐसे थे हमारे गुरुजी। ___ आज उसी ट्रस्टसे सुप्रसिद्ध जैन तार्किक आचार्य विद्यानन्दकी अन्यतम कृति 'प्रमाण-परीक्षा' प्रकट हो रही है। इसका प्रथम बार प्रकाशन सन् १९१४ में ६३ वर्ष पूर्व काशीकी भारतीय जैन-सिद्धान्तप्रकाशिनी संस्था द्वारा 'सनातन जैन ग्रन्थमाला' के अन्तर्गत हुआ था। वह संस्करण अब अप्राप्य है और वह पर्याप्त अशुद्ध छपा हुआ है। प्रस्तुत संस्करण अनेक पाण्डुलिपियोंके आधारसे सम्पादक द्वारा संशोधनादिपूर्वक तथा कई विशेषताओं (प्रस्तावना, हिन्दी रूपान्तर, परिशिष्ट एवं विषयसूची) के साथ प्रकाशित हो रहा है।
हमें विश्वास है कि यह संस्करण दर्शन-शास्त्रके विद्वानों, छात्रों और स्वाध्याय-प्रेमियोंके लिए बहुत उपयोगी और लाभप्रद होगा।
ट्रस्टके सभी सदस्योंके हम आभारी हैं, जिनके उत्साह और सहयोगसे ट्रस्ट जिनवाणीके प्रकाशन और साधनामें संलग्न है। पार्श्वनाथ-निर्वाण-दिवस, श्रावण शुक्ला ७,
मंत्री वी० नि० सं० २५०३,
वीर-सेवा-मन्दिर-ट्रस्ट २. अगस्त, १९७७
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