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प्राक्कथन : ११
प्रसन्नताकी बात है कि जैन न्यायके अधिकारी विद्वान् डॉ० दरबारीलाल कोठिया द्वारा सम्पादित एवं अनूदित आचार्य विद्यानन्दकी प्रस्तुत महत्त्वपूर्ण कृति 'प्रमाण-परीक्षा' सुन्दर सम्पादन के साथ प्रकाशमें आ रही है। सम्पादकने अपनी महत्त्वपूर्ण प्रस्तावना में प्रमाण-परीक्षाके विषयोंका विशद विमर्श किया है । निश्चय ही यह विद्वानों द्वारा उपादेय एवं समादरणीय होगी ।
वाराणसी २७/८/७७
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- अमृतलाल शास्त्री अध्यक्ष, जैनदर्शनविभाग, सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय
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