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६. भाषाटिप्पणगत शब्दों और विषयों की सूची। विरुद्ध (हेत्वाभास)
| व्यभिचारशका ७७.९ न्यायप्रवेश और वैशेषिक का मतभेद 8. १५ । व्यवस्थाप्यव्यवस्थापकभाष ६६. २६ न्यायप्रवेश और माठरसंमत चार भेद १६.१० | व्याप्ति (जाति) ११४. १॥ न्यायबिन्दु में दो भेद १६. २९
व्याप्ति ७. ११; ८०.१ इष्टविघातकृत् और धर्मविशेष विरुद्ध का ऐक्य | व्याप्ति. 88. २२
अर्चटोक्त विविध व्याप्तिका स्पष्टीकरण ७८.२५ न्यायसार और जैनाचार्य १००.३
गङ्गेश और अर्चट ७६. १६ विरुद्ध १४२, २१
व्याप्तिग्रह ७८.३१३८. ७ विरुद्धाव्यभिचारी १०१.७
ज्याप्तिज्ञान ७७ २४ विरुद्धोपलब्धि के उदाहरण E७. १२
व्यामोह ०.२५ विरोध (दोष)६४. १७; ६५...
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(श) विरोधसंशयादिदोष
शास्त्रप्रवृत्ति अनेकान्तवाद पर दिये गए दोषों की संख्या
वात्स्यायन का त्रैविध्य ३.१७ विषयक भिन्न २ श्वेताम्बरीय दिगम्बरीय
श्रीधर का उद्देश लक्षणरूप द्वैविध्य ३.१८ आचार्यों की परंपरा का अवलोकन ६५..
हेमचन्द्र ४.९ देखो भनेकान्तवाद
विभाग का उद्योतकर और 'जयन्त के द्वारा उद्देश विरोधी (लिङ्ग)३. २९
में समावेश ४." विवाद ११६. १८
शास्वत-अशास्वत ६१. २५ विशद २६. १७; १३२. ७ देखो प्रत्यक्ष
श्रत १२८. १९ विशेष..
अतिभिन्न (जाति) ११५.१७ विषयचैतन्य १३४."
अतिसम (जाति) ११४. १७ विषयता ७४. २५ विषयसारूप्य ६७. १९
(स) विषयाधिगति ६७. १९
संकर ६४. १९, ६५.११ विषयाधिगम ६७. १३
संभव १०.२० बेद-अप्रामाण्यवादी १६ २६
संयोगी (लिङ्ग ) ३.२९ घेदप्रामाण्यवादी १६ २७ ।
संवित् १३७, १५ वैधम्य ( दृष्टान्ताभास) १०४.
संशय वैधयंसम (जाति) ११३. १९.
कणाद, अक्षपाद, बौद्ध और जैनों के लक्षणों वैयधिकरण्य ६५.११
की तुलना १४. २२, १५.३ वैयाकरणस्व
संशय ६४.१७६५.१. आवार्य हेमचन्द्र का ६६.४, १३६. १ संशयसम (जाति) ११४.२ वैशद्य
संस्कार ४७. १५ देखो धारणा का मूल धर्मकीर्ति के प्रन्थों में २६. १७ ..
संस्कारोबोधकनिमित्त ७२. १९ तीन प्रकार का निवेचन २७.३
सज्ञा २३. ४ वैशय १३५. १९
सत्ता व्यअनावग्रह १२६. १५
विविधकल्पनाएँ १२६. १९ व्यतिकर ६५.१५
सद्धर्मवाद ११६. १० व्यतिरेक ६.९
सन्तान ६०.२० व्यतिरेकी ( हेतु ):.९ ।
स्वरूप ६०.१० व्यभिचार १०.२० १०२.४
, खण्डनकर्ता जैन और वैदिकदर्शन ६०.२८
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