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पयस्विनीनां धेनूनां (वि.) ५२६, ३२३. पयोधरभराक्रान्ते (अ.) ४७१, ३१५. पयोधरावा : (वि.) ४६७, ३०४. परपेसणदूसिदं (वि.) ५९९, ४५१.
૩૮ર
पाण्डोर्नन्दननन्दनं (वि.) २०२, १७४.
[ र. (अं.) १ पृ. ४७ ] | पाण्डयोयमंसार्पित (अ.) ३९७, २६६.
परमा या तपोवृत्तिर् (वि.) ५०६, ३१८.
[ दे. श. श्लो. ८५.] परमा या समृद्धि: (वि.) ४६३, ३०३. परागतरुराजीव ( अ ) ४६०, ३०३.
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[ का. द. परि. ३. श्लो. २५७ ] परापका रनिपुण (अ.) २५६, २१५. परार्थे यः पीडां (वि.) ५४३, ३५९. [ भलटशतक श्लो. ५६ ] परिणतशरकाण्डच्छायं (वि.) २२२,२८१. परिपन्थिमनोराज्यशतैर् (अ.) ५१४, ३४४.
परिभ्रमन्मूर्धज (वि.) ३३१, १९९. [ कि. स. ४. लो. १४ ] परिवद विन्नाणं (वि.) ६१३, ४५६.
[ से. ब. आश्वास १. लो. १०] परिस्फुरन्मीनविघट्टितोख : (अ.) १४९,
१३९. [ कि. स. ८. श्लो. ४५] परिहरति रतिं ( अ ) १९८, १६९. पर्याणस्खलित स्फिज: (अ.) ६१०, ३८०. पर्याप्तपुष्पस्तबक (अ.) १५७, १४७. पश्चात्पर्यस्य (अ.) ३८०, २६४,५७३, ३६९.
[ का. द. परि. २, श्लो. २५७ ] पश्यामि ताम् (अ.) १४७, १३८.
[ मा. मा. अं. १ श्लो. ४३] पश्य पश्चिमदिगन्तलम्बिना (वि.)
पश्याम्यङ्ग (अ.) ३२१, २३७. पश्येत्कश्चित् (वि.) १८४, १५३. पाणौ कङ्कणम् (अ.) १०९, ११५.
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पातयाशु रथं (अ.) ४४८, ३००.
पातालमिव (अ.) ३२८, २३८. पातु वो भगवान् (अ.) ४६१, ३०३.
[ का. द. परि. ३ श्लो. २८ ] पादन्यासक्वणितरशना (वि.) १२१, ३२.
[ मेघदूत पू. मे श्लो. ३५ ] पानेऽम्भसो: (वि.) २८६, १९२.
पायाद्वश्चन्द्रधारी (वि.) ४९४, ३१३. पायात् स शीतकिरणाभरणो (अ.) ३८६,
२६५.
पितृवसतिमहं (अ.) ३०२, २३०. पिनद्धमाहार (वि.) २९६, १९३. पिनाकिने नमः (वि.) ४७२, ३०५. पिहिते कारागारे (वि.) ७७, २४. पुत्रक्षयेन्धन (अ.) ७३, ७७. पुन्नागरोध (वि.) २७३, १९०. पुराणि यस्यां (अ.) ५७४, ३७०.
[ नवसा. च. स. १.] पुष्पक्रिया मरुबके (वि.) २८७, १९२. पुष्पं प्रवालोपहितं (वि.) ९२, २७. [ कु. सं. स. १. लो. ४४ ] पुंस्कोकिलः कूजति (वि.) २९५, १९३. पुंस्त्वादपि प्रविचलेद् (अ.) ५६३, ३६६. [ भल्लट. श. श्लो. ७९ ]
२३५, १८४
[ कु. सं. स. ८, श्लो, १४] पूर्णेन्दुकल्प वदना (अ.) ५११, ३४३.
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