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अदादिन्द्राय (अ). ३९६. २६६. | भन्यास्ता गुण (अ.) २५२. ११४. अदृश्यन्त पुर (अ.) ६३८. ३९१. अपङ्किलतटा (वि.) २७०. १९०. अद्यैवावां रण (वि.) ५९०. ४५१.
अयमहिमरुचि (वि.) ४५४. २८८. ... [वे. सं. अं. ४. श्लो. १५. .
अपाङ्गतरले (अ.) ५७१. ३६९. अधरदलं ते (अ.) ४९१. ३३१.
अपि काचिच्छ्रता (वि.) १३१. ३६. [ रुद्रट का. लं. अ. ४ श्लो. २०]
अपूर्वमधुरा (अ.) ३९१. २६६. अधरे बिन्दुः (वि.) १. ११.
अप्यवस्तुनि (अ.) ५५. ६६. " [कु. म. श्लो. ४०३. ]
[कु सं. स. ८ श्लो.] अधिकरतल (अ.) २३३. २०९.
अप्यसजन (अ.) ५९३. ३७४. अनङ्गः पञ्चभिः (अ.) १५३. १४२.
अभिधाय तदा (अ.) २६७. २६०. . अनङ्गमङ्गल ३३३. २४०.
[शि. व स. १६. श्लो. २. ]. अनारङ्ग (अ.) ४३०. २९५.
अभिनवकुश (वि.) ३३०. १९८. अनङ्गलङ्घनालग्न (वि.) ४८४. ३०९. ।
अभिनववधू (वि.) २९१. १९२. का. द. परि. ३. लो. ९०. [औ. वि. च. पृ १३३. मालवन्द्रस्य अनणुरणन्मणि (अ) ३७१. २६२.
सु. हारावली. भासस्य ] [रुद्रट का. लं. अ. २. श्लो. २३]
अमी ये दृश्यन्ते (वि) ५४४. ३५९.. . अनध्यवसिता (वि.) ५५३. ३६३.
अमुं कनक (अ.) ८०. ८१. [धर्मकीतेः
[म. भा. शा. प. अ. १५२. लो. ६५] अनवरतनयन (वि.) ४२७. २८२..
| अमृतममृतं (अ.) २५१. २१४. अनाधिव्याधि (अ.) ५०६. .३४३.
| अयं जनः (वि.) ३४८. २२१. अनुत्तमानुभावस्य (अ.) ३६६, २६०.
[कु. सं. स. ५. श्लो. ४० ] अनुरागवती (वि.) ५३.. ३२९.
| अयमपि पटु (अ.) २१२. २०४. अन्त्रप्रोतहत (अ.) ३३८. २४०.
[वि. अं. ४. 'लो. १] - [म. च. अं. १. *लो. ३५ ]
| अम्भोजगर्भ (वि.) ६०४. ४५४. अन्त्रः कल्पित (वि.) १८९. १६८.
[र. अं. ४. लो. २] [ मा. मा. अं. ५, लो. १८] |
। अयमेकपदे (अ.) ८६. ८५. अन्नत्थ वच्च (अ.) ८५. ८५.
[वि. अं. ४. लो. ३.] अन्नं लडहत्तणय (अ.) ५६९. ३६८. अन्यत्र यूयं (अ) ३३. ६१.
अयं पद्मासना (अ.) ३२७. २३८. अन्यत्र व्रज (अ.) ७१६. ४२०. अय प्रसूनो (वि.) २९७. १९३. अन्ययान्यवनिता (अ.) ६२३. ३८५. । अयं मार्तण्डः (अ.) ६२७. ३८७.
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