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________________ २७ ११७ ११८ ११८ ११८ ११८ ११८-१९ ११९ ११९ विषयानुक्रम १५८३-८५ (१२५) दो अणु (१२६ ) एक परमाणु अंग १५८६-९० (१२७ ) पांच हृदय और समानार्थक १५९१-९८ (१२८ ) पांच ग्रहण पांच ग्रहण अंगों के नाम, फलादेश और समानार्थक १५९९-१६०० ( १२९ ) पांच उपग्रहण अंग और एकार्थक १६०१-७ (१३०) छप्पन रमणीय छप्पन रमणीय अंगोंके नाम, फलादेश और समानार्थक १६०८-१२ (१३१ ) बारह आकाश अंग और एकार्थक १६१३-२२ (१३२ ) छप्पन दहरचल और (१३३) छप्पन दहरस्थावर छप्पन दहरचल और छप्पन दहरस्थावर अंगोंके नाम, फलादेश और समानार्थक १६२३-३० (१३४ ) दस ईश्वर (१३५) दस अनीश्वर दस ईश्वर और दस अनीश्वर अंगोंके नाम, फलादेश और समानार्थक ११३१ (१३६ ) चौदह ईश्वरभूत अंग १६३२-४० (१३७ ) पचास प्रेष्य ( १३८ ) पचास प्रेष्यभूत पचास प्रेष्य और पचास प्रेष्यभूत अंगोंके नाम, फलादेश और एकार्थक १६४१-५६ ( १३९) छब्बीस प्रिय और (१४०) छब्बीस द्वेष्य छब्बीस प्रिय और छब्बीस द्वेष्य अंगोंके नाम, फलादश और समानार्थक १६५७-६२ (१४१) छब्बीस मध्यस्थ अंग और समानार्थक १६६३-६४ (४१२-४६ ) पृथ्वीकायिकादि अंगोंके नामोंका अतिदेश १६६५-६६ (१४७) वीस जंगम अंगोंके नाम १६६७-७० (१४८) तेत्तीस आतिमलिक अंगोंके नाम १६७१-७२ (१४९ ) तेत्तीस मज्झविगाढ अंगोंके नाम १६७३-७४ ( १५० ) तेत्तीस अंत अंगोंके नाम १६७५-८६ (१५१ ) पचास मुदित और ( १५२) पचास दीन पचास मुदित और पचास दीन अंगोंके नाम, फलादेश और समानार्थक १६८७-९१ (१५३) बीस तीक्ष्ण अङ्ग और समानार्थक ११९-२० १२० १२०-२१ १२१ १२१ १२१ १२१ १२१-२२ १२२ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001065
Book TitleAngavijja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyavijay, Vasudev S Agarwal, Dalsukh Malvania
PublisherPrakrit Granth Parishad
Publication Year1957
Total Pages487
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Jyotish, & agam_anykaalin
File Size15 MB
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