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________________ २२ अंगविजापइएणयं ४४२-७९ (५) सतरह वाम सतरह वाम-बायें अंगोंके नाम, स्पर्शानुसार फलादेश और वामके एकार्थक ७५-७६ ७६-७६ ७७-७९ ७९-८० ८१-८२ ८२-८३ ४८०-५२१ (६) सतरह मध्यम सतरह मध्यम अङ्गोंके नाम, स्पर्शानुसार फलादेश और मध्यमके एकार्थक समानार्थक ५२२-६४ (७) अट्ठाईस दृढ अट्ठाईस दृढ अंगोंके नाम, स्पर्शानुसार फलादेश और दृढके समानार्थक ५६५-६१६ (८) अट्ठाइस चल अट्ठाईस चल अंगोंके नाम, स्पर्शानुसार फलादेश और चलके समानार्थक ६०१-६१० इन पद्योंमें प्राकृत क्रियापदोंका विपुल संग्रह है ६१७-५६ (९) सोलह अतिवृत्त सोलह अनिवृत्त-अनिक्रान्त अंगों के नाम, स्पर्शानुसार फलादेश और उनके समानार्थक ६४४-५० इन पोंमें प्राकृत क्रियापदों का विपुल संग्रह है ६५७-९६ (१०) सोलह वर्तमान सोलह वर्तमान अंगोंके नाम, उनके स्पर्शानुसार फलादेश और उनके समानार्थक ६८४-९१ इन पद्योंमें प्राकृत क्रियापदोंका विपुल संग्रह है ६९६-७३४ (११) सोलह अनागन सोलह अनागत अंगोंके नाम, स्पर्शानुसार फलादेश और समानार्थक ७२०-२९ इन पद्योंमें प्राकृत क्रियापदोंका विपुल संग्रह है ७३५-७१ (१२) पचास अभ्यन्तर पचास अभ्यन्तर अंगों के नाम, स्पर्शानुसार फलादेश और समानार्थक ७७२-८०६ (१३) पचास अभ्यन्तराभ्यन्तर पचास अभ्यन्तराभ्यन्तर अंगों के नामों का अतिदेश, स्पर्शानुसार फलादेश और एकार्थक ७९७-८० १ इन पद्योंमें प्राकृत क्रियापदों का संग्रह है ८०७-३६ (१४ ) पचास बाहिराभ्यन्तर पचास बाहिराभ्यन्तर अंगों के नामोंका अतिदेश, स्पर्शानुसार फलादेश और एकार्थक ८३७-५६ (१५) पचास अभ्यन्तर बाहिर पचास अभ्यन्तर बाहिर अंगोंके नामोंका अतिदेश, स्पर्शानुसार फलादेश और एकार्थक ८३.८४ ८४-८६ ८६-८७ ८७-८८ Jain Education Intemational Jain Education Intermational For Private & Personal Use Only For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001065
Book TitleAngavijja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyavijay, Vasudev S Agarwal, Dalsukh Malvania
PublisherPrakrit Granth Parishad
Publication Year1957
Total Pages487
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Jyotish, & agam_anykaalin
File Size15 MB
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