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५४ : चार तीर्थंकर] देव-देवियों ने अमृत, गन्ध, पुष्प, सुवर्ण, चाँदी आदि की वर्षा की। जन्म के पश्चात् स्नात्र के लिये इन्द्र जब मेरु पर ले गया तब उसने त्रिशला माता को अवस्वापनी निद्रा से बेभान कर दिया। -त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र, पर्व १०, सर्ग २, पृ० १६-१६ ।
( २ )
पर्वत-कम्पन जब देव-देवियाँ महावीर का इन्द्र के द्वारा किये हुये उपजन्माभिषेक करने के लिए ले द्रवों से रक्षण करने के लिए गये तब उन्हें अपनी शक्ति का तरुण कृष्ण ने योजन प्रमाण परिचय देने के लिये और उनकी गोवर्धन पर्वत को सात दिन तक शंका का निवारण करने के लिये ऊपर उठाये रखा। इस तत्काल प्रसूत बालक ने -भागवत दशमस्कन्ध, अ० ४३ केवल अपने पैर के अंगूठे से श्लो० २६-२७ । दबाकर एक एक लाख योजन के सुमेरु पर्वत को कँपा दिया। -त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र, पर्व १०, सर्ग २, पृ० १९ ।
बाल-क्रीड़ा (१) करीब आठ वर्ष की (१) कृष्ण जब अन्य ग्वालउम्र में जब वीर बालक राज- बालकों के साथ खेल रहे थे, तब पुत्रों के साथ खेल रहे थे, तब उनके शत्रु कंस द्वारा मारने के स्वर्ग में इन्द्र के द्वारा की हुई लिये भेजे हुये अघ नामक असुर उनकी प्रशंसा सुनकर, वहाँ का ने एक योजन जितना लम्बा सर्प
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