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________________ [ दीर्घं तपस्वी महावीर : ३७ बहुमान और दूसरे मौके को देख कर मूल सिद्धान्त में बाधा न पड़ने देते हुए समझौता कर लेने का औदार्य्यं । यह दूसरा तत्व साधक और उपदेशक जीवन में किस प्रकार काम करता है, यह हम आगे चलकर देखेंगे । जब माता-पिता का स्वर्गवास हुआ, तब वर्धमान की उम्र २८ वर्ष की थी । विवाह के समय की अवस्था का उल्लेख नहीं मिलता । माता-पिता के स्वर्गवास के बाद वर्धमान ने गृहत्याग की पूरी तैयारी कर ली थी; परन्तु इससे ज्येष्ठ बन्धु को कष्ट होते देख गृह-जीवन को दो वर्ष और बढ़ा दिया । परन्तु इसलिये कि त्याग का निश्चय कायम रहे, गृहवासी होते हुए भी आपने दो वर्ष तक त्यागियों की भाँति ही जीवन व्यतीत किया । साधक जीवन तीस वर्ष का तरुण क्षत्रिय - पुत्र वर्धमान जब गृहत्याग करता है, तब उसका आन्तर और बाह्य दोनों जीवन एकदम बदल जाते हैं । वह सुकुमार राजपुत्र अपने हाथों केश का लुंचन करता है और तमाम वैभवों को छोड़कर एकाकी जीवन और लघुता स्वीकार करता है । उसके साथ ही यावज्जीवन सामायिक चारित्र ( आजीवन समभाव से रहने का नियम ) अंगीकार करता है, और इसका सोलहों आने पालन करने के लिए भीषण प्रतिज्ञा करता है "चाहे दैविक, मानुषिक अथवा तिर्यक् जातीय, किसी भी प्रकार की विघ्न-बाधाएँ क्यों न श्रावें, मैं सबको बिना किसी दूसरे की मदद लिये, समभाव से सहन करूँगा ।" इस प्रतिज्ञा से कुमार के वीरत्व और उसके परिपूर्ण निर्वाह से उसके महान् वीरत्व का परिचय मिलता है। इसी से वह साधक जीवन में “महावीर” की ख्याति को प्राप्त करता है । महावीर के साधना विषयक आचारांग के प्राचीन और प्रामाणिक वर्णन से, उनके जीवन की भिन्न-भिन्न घटनाओं से तथा अब तक उनके नाम से प्रचलित सम्प्रदाय की विशेषता से, यह जानना कठिन नहीं है कि महावीर को किस तत्त्व की साधना करनी थी, और उस साधनों के लिए उन्होंने मुख्यतः कौन से साधन पसन्द किये थे । महावीर अहिंसा-तत्त्व की साधना करना चाहते थे, उसके लिए संयम और Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001054
Book TitleChar Tirthankar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSukhlal Sanghavi, Shobhachad Bharilla, Bhavarmal Singhi, Sagarmal Jain, Dalsukh Malvania
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1989
Total Pages158
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, History, & E000
File Size8 MB
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