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________________ २४ : चार तीर्थंकर] रूप चोटी को ही उखाड़ फेंका। इस घटना में कितना रहस्य और कितना बोधपाठ है ? खास कर धर्म के नाम पर लड़ने वाले हमारे फिरकों और गुरुओं के लिए तो बाहुबली का यह प्रसंग पूरा-पूरा मार्मिक है। ब्राह्मी और सुन्दरी ___ अन्त में हमको इन दोनों बहनों के बारे में भी विचार करना चाहिये । ब्राह्मी और सुन्दरी दोनों मात्र काल्पनिक हों या और काल्पनिक, पर उनके चरित्र, जीवन में अत्यन्त स्फूर्ति देने वाले सिद्ध हो सकते हैं। इन प्रातःस्मरणीय बहनों के बारे में तीन बातों की तरफ ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ-(१) आजीवन कौमार्य और ब्रह्मचर्य, (२) भाई भरत की इच्छा के वशीभूत न होकर उग्र तप पूर्वक सुन्दरी का गृहत्याग, (३) दोनों बहनों द्वारा बाहुबली को प्रतिबोध देना और उसका तत्काल उस पर असर होना। पिता ऋषभ व भाई भरत और बाहुबली के दीर्घ जीवन में तथा उनके आसपास सर्वत्र प्रवृत्तिधर्म ही प्रचलित था। ऐसे वातावरण में इन दोनों बहनों का कौमार्य-व्रत और निवृत्तिधर्म का ऐकान्तिक ग्रहण बहुत कम स्वाभाविक और सम्भव लगता है । उस समय की समग्र समाज-रचना में उनका यह निवृत्तिमय जीवन बिल्कुल अनोखी छाप डालता है। अगर ऐसा जीवन उस समय शक्य न हो और चरित्र-लेखकों के निवृत्तिमय मानसिक संस्कारों का ही यह प्रतिबिम्ब हो तो भी ये बहिनें सहज सरलता के कारण महासती पद के योग्य हैं ही। भाई-बहिन का विवाह उस जमाने की सामान्य तथा मानी हुई रीति थी। आज जो अनीति गिनी जाती है वह उस समय प्रतिष्ठित नीति थी । हम नीति-अनीति की इस परिवर्तनशील प्रथा में से बहुत कुछ सीख सकते हैं और लग्न, पूनर्लग्न, अन्तर्जाति-लग्न, अन्तर्जाति लग्न, अन्तर्वर्ण-लग्न और अन्तरराष्ट्रीय लग्न आदि अनेक सामाजिक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001054
Book TitleChar Tirthankar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSukhlal Sanghavi, Shobhachad Bharilla, Bhavarmal Singhi, Sagarmal Jain, Dalsukh Malvania
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1989
Total Pages158
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, History, & E000
File Size8 MB
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