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________________ प्रमेय-खण्ड ५७ गौतम भन्ते, जीव सकम्प हैं या निष्कंप ? भगवान महावीर-गौतम, जीव सकम्प भी हैं और निष्कम्प भी। गौतम-इसका क्या कारण ? भगवान महावीर-जीव दो प्रकार के हैं-संसारी और मुक्त । मुक्त जीव के दो प्रकार हैंअनन्तर-सिद्ध और परम्परसिद्ध । परंपर-सिद्ध तो निष्कम्प हैं और अनन्तरसिद्ध सकम्प । संसारी जीवों के भी दो प्रकार हैं--शैलेशी और अशैलेशी । शैलेशी जीव निष्कम्प होते हैं और अशैलेशी सकम्प होते हैं । -भगवती २५.४ । : ४: गौतम-जीव सवीर्य हैं या अवीर्य हैं ? भगवान महावीर-जीव सवीर्य भी हैं और अवीर्य भी हैं। गौतम-इसका क्या कारण ? भगवान महावीर-जीव दो प्रकार के हैं । संसारी और मुक्त । मुक्त तो अवीर्य हैं। संसारी जीव के दो भेद हैं-शैलेशीप्रतिपन्न और अशैलेशी-प्रतिपन्न । शैलेशी-प्रतिपन्न जीव लब्धिवीर्य की अपेक्षा से सवीर्य हैं, किन्तु करणवीर्य की अपेक्षा से अवीर्य हैं और अशैलेशीप्रतिपन्न जीव लब्धि वीर्य की अपेक्षा से सवीर्य हैं, किन्तु करण-वीर्य की अपेक्षा से सवीर्य भी हैं और प्रवीर्य भी हैं । जो जीव पराक्रम करते हैं, वे करणवीर्य की अपेक्षा से सवीर्य हैं और अपराक्रमी हैं, वे करणवीर्य की अपेक्षा से अवीर्य हैं। __---भगवती १.८.७२ ४° मूल में सेये-निरेये (सेज-निरेज) है। तुलना करो-"तदेजति तन्नजति"ईशावास्योपनिषद् ५। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001049
Book TitleAgam Yugka Jaindarshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1990
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Education, B000, & B999
File Size17 MB
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