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________________ २८ आगम-युग का जन-वर्शन निश्चयपूर्वक कहा ही जा सकता है । वह भगवान् के साक्षात् उपदेश रूप न भी हो, तब भी उसके अत्यन्त निकट तो है ही। इस स्थिति में उसे हम विक्रम पूर्व ३०० से बाद की संकलना नहीं कह सकते । अधिक संभव यही है, कि वह प्रथम वाचना की संकलना है । आचारांग का द्वितीय श्रुत स्कन्ध आचार्य भद्रबाहु के बाद की रचना होना चाहिए, क्योंकि उसमें प्रथम श्रुतस्कंध की अपेक्षा भिक्षुओं के नियमोपनियम के वर्णन में विकसित भूमिका की सूचना मिलती है। इसे हम विक्रम पूर्व दूसरी शताब्दी से इधर की रचना नहीं कह सकते । यही बात हम अन्य सभी अंगों के विषय में सामान्यतः कह सकते हैं। किन्तु इसका मतलब यह नहीं है, कि उसमें जो कुछ संकलित है, वह इसी शताब्दी का है । वस्तु तो पुरानी है, जो गणधरों की परम्परा से चली आती थी, उसी को संकलित किया गया। इसका मतलब यह भी नहीं समझना चाहिए, कि विक्रम पूर्व दूसरी शताब्दी के बाद इनमें कुछ नया नहीं जोड़ा गया है । स्थानांग जैसे अंग ग्रन्थों में वीर निर्वाण की छठी शताब्दी की घटना का भी उल्लेख आता है। किन्तु इस प्रकार के कुछ अंशों को छोड़ करके बाकी सब भाव पुराने ही हैं । भाषा में यत्र-तत्र काल की गति और प्राकृत भाषा होने के कारण भाषा-विकास के नियमानुसार परिवर्तन होना अनिवार्य है । क्योंकि प्राचीन समय में इसका पठन-पाठन लिखित ग्रंथों से नहीं किन्तु, कण्ठोपकण्ठ से होता था। प्रश्न व्याकरण अंग का वर्णन जैसा नन्दी सूत्र में है, उसे देखते हुए उपलब्ध प्रश्न व्याकरण अंग समूचा ही बाद की रचना हो, ऐसा प्रतीत होता है । वलभी वाचना के बाद कब यह अंग नष्ट हो गया और कब उसके स्थान में नया बनाकर जोड़ा गया, इसके जानने का हमारे पास कोई साधन नहीं, इतना ही कहा जा सकता है, कि अभयदेव की टीका, जो कि वि० १२ वीं शताब्दी के प्रारम्भ में लिखी गई है, से पहले वह कभी का बन चुका था। __ अब उपांग के समय के बारे में विचार क्रमप्राप्त है । प्रज्ञापना का रचनाकाल निश्चित ही है। प्रज्ञापन के कर्ता आर्य श्याम हैं । उनका Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001049
Book TitleAgam Yugka Jaindarshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1990
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Education, B000, & B999
File Size17 MB
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