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________________ भंग के समान ) (६) १२ - १४. चतुष्प्रदेशिक के समान ( ५ ) ८ - १०. चतुष्प्रदेशिक स्कन्ध के समान ११. चतुष्प्रदेशिक स्कन्ध के समान ( अनेक का अर्थ प्रस्तुत ७ वें प्रमेय-खण्ड १११ १५. चतुष्प्रदेशिक स्कन्ध के समान ( अनेक का अर्थ प्रस्तुत सातवें भंग के समान ) (७) १६. देश आदिष्ट है सद्भावपर्यायों से, देश आदिष्ट है असद्भावपर्यायों से और देश आदिष्ट है तदुभयपर्यायों से । अतएव पंचप्रदेशिक स्कन्ध आत्मा है, आत्मा नहीं है और अवक्तव्य है । १७. देश आदिष्ट है सद्भावपर्यायों से, देश आदिष्ट है असद्भावपर्यायों से और ( अनेक ) देश आदिष्ट है तदुभयपर्यायों से । अतएव पंचप्रदेशिक स्कन्ध आत्मा है, आत्मा नहीं है और ( अनेक ) अवक्तव्य है । १८. देश आदिष्ट है सद्भावपर्यायों से, ( अनेक ) देश आदिष्ट है असद्भावपर्यायों से और देश आदिष्ट है तदुभयपर्यायों से । अतएव पंचप्रदेशिक स्कन्ध आत्मा है, ( अनेक ) आत्माएँ नहीं हैं और अवक्तव्य हैं । १६. देश आदिष्ट है सद्भावपर्यायों से, (अनेक - २) देश आदिष्ट हैं असद्भावपर्यायों से और ( अनेक - २) देश आदिष्ट हैं तदुभयपर्यायों से अतएव पंचप्रदेशिक स्कन्ध आत्मा है, ( अनेक - २ ) आत्माएँ नहीं हैं और ( अनेक - २ ) अवक्तव्य हैं । २०. ( अनेक ) देश आदिष्ट हैं सद्भावपर्यायों से, देश आदिष्ट है असद्भाव पर्यायों से, और देश आदिष्ट है तदुभयपर्यायों से । अतएव पंचप्रदेशिक स्कन्ध आत्माएँ ( अनेक ) हैं, आत्मा नहीं है और अवक्तव्य है । Jain Education International २१. ( अनेक - २) देश आदिष्ट हैं सद्भावपर्यायों से, देश आदिष्ट है असद्भावपर्यायों से और देश ( अनेक - २ ) आदिष्ट हैं तदुभयपर्यायों For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001049
Book TitleAgam Yugka Jaindarshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1990
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Education, B000, & B999
File Size17 MB
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