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________________ १०४ भागम-युग का जैन दर्शन में विपक्षों का उत्थान सहज है । सारांश यह है कि भगवान् महावीर का समन्वय सर्वव्यापी है अर्थात् सभी पक्षों का सुमेल करने वाला है । अतएव उस के विरुद्ध विपक्ष को कोई स्थान नहीं रह जाता । इस समन्वय में पूर्वपक्षों का लोप होकर एक ही मत नहीं रह जाता । किन्तु पूर्व सभी मत अपने-अपने स्थान पर रह कर वस्तु दर्शन में घड़ी के भिन्न-भिन्न पुर्जे की तरह सहायक होते हैं। इस प्रकार पूर्वोक्त पक्ष-विपक्ष - - समन्वय के चक्र में जो दोष था, उसे दूर करके भगवान ने समन्वय का यह नया मार्ग लिया, जिस से फल यह हुआ कि उनका वह समन्वय अंतिम ही रहा । इस पर से हम देख सकते हैं कि उनका स्याद्वाद न तो अज्ञानवाद है और न संशयवाद । अज्ञानवाद तब होता, जब वे संजय की तरह ऐसा कहते कि वस्तु को मैं न सत् जानता हूँ, तो सत् कैसे कहूँ, और न असत् जानता हूँ, तो असत् कैसे कहूँ इत्यादि । भगवान् महावीर तो स्पष्ट रूप से यही कहते हैं कि वस्तु सत् है, ऐसा मेरा निर्णय है, वह असत् है, ऐसा भी मेरा निर्णय है । वस्तु को हम उसके स्व- द्रव्य क्षेत्रादि की दृष्टि से सत् समझते हैं और परद्रव्यादि की अपेक्षा से उसे हम असत् समझते हैं । इस में न तो संशय को स्थान है और न अज्ञान को नय भेद से जब दोनों विरोधी धर्मों का स्वीकार है, तब विरोध भी नहीं । अतएव शंकराचार्य प्रभृति वेदान्त के आचार्य और धर्मकीर्ति आदि बौद्ध आचार्य और उनके प्राचीन और आधुनिक व्याख्याकार स्याद्वाद में विरोध, संशय और अज्ञान आदि जिन दोषों का उद्भावन करते हैं, वे स्याद्वाद में लागू नहीं हो सकते, किन्तु संजय के संशयवाद या अज्ञानवाद में ही लागू होते हैं । अन्य दार्शनिक स्याद्वाद के बारे में सहानुभूतिपूर्वक सोचते तो स्याद्वाद और संशयवाद को वे एक नहीं समझते और संशयवाद के दोषों को स्याद्वाद के सिर नहीं मढ़ते । जैनाचार्यों ने तो बार-बार इस बात की घोषणा की है कि स्याद्वाद संशयवाद नहीं और ऐसा कोई दर्शन ही नहीं, जो किसी न किसी रूप में स्याद्वाद का स्वीकार न करता हो । सभी दर्शनों ने Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001049
Book TitleAgam Yugka Jaindarshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1990
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Education, B000, & B999
File Size17 MB
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