________________
स्याद्वाद भंगका प्राचीन रूप ।
देश ( अनेक - २ या ३ ) आदिष्ट हैं सद्भावपर्यायोंसे और देश ( अनेक ३ या २) आदिष्ट हैं . असद्भावपर्यायोंसे अत एव
पंचप्रदेशिक स्कन्ध आत्माएँ ( २ या ३ ) हैं और आत्माएँ (३ या २ ) नहीं हैं।
( ५ ) ८-१० चतुष्प्रदेशिक स्कन्धके समान
११
चतुष्प्रदेशिक स्कन्धके समान ( अनेकका अर्थ प्रस्तुत ७ वें भंगके
समान
(६) १२-१४ चतुष्प्रदेशिकके समान
Jain Education International
१५ चतुष्प्रदेशिक स्कंधके समान ( अनेकका अर्थ प्रस्तुत सातवें भंगके समान )
(७) १६ देश आदिष्ट है सद्भावपर्यायोंसे, देश आदिष्ट है असद्भावपर्यायोंसे और देश आदिष्ट है तदुभयपर्यायोंसे अत एव
पंचप्रदेशिक स्कन्ध आत्मा है, आत्मा नहीं है और अवक्तव्य है ।
१७ देश आदिष्ट है सद्भावपर्यायोंसे, देश आदिष्ट है असद्भावपर्यायोंसे और (अनेक ) देश आदिष्ट हैं तदुभयपर्यायोंसे अत एव
पंचप्रदेशिक स्कन्ध आत्मा है, आत्मा नहीं है और ( अनेक ) अवक्तव्य हैं । १८ देश आदिष्ट है सद्भात्रपर्यायोंसे, ( अनेक ) देश आदिष्ट हैं असद्भावपर्यायोंसे और देश आदिष्ट है तदुभयपर्यायोंसे अत एव
पंचप्रदेशिक स्कन्ध आत्मा है, ( अनेक ) आत्माएँ नहीं हैं और अवक्तव्य है । १९ देश आदिष्ट है सद्भावपर्यायोंसे, ( अनेक - २) देश आदिष्ट हैं असद्भावपर्यायोंसे और ( अनेक - २) देश आदिष्ट हैं तदुभयपर्यायोंसे अत एव पंचप्रदेशिक स्कन्ध आत्मा है, ( अनेक - २ ) आत्माएँ नहीं हैं और ( अनेक - २ ) अवक्तव्य हैं ।
२० ( अनेक ) देश आदिष्ट हैं सद्भावपर्यायोंसे, देश आदिष्ट है असद्भावपर्यायोंसे, और देश आदिष्ट है तदुभयपर्यायोंसे अत एव
पंचप्रदेशिक स्कंध आत्माएँ ( अनेक ) हैं, आत्मा नहीं है और अवक्तव्य है । २१ (अनेक - २ ) देश आदिष्ट हैं सद्भावपर्यायोंसे, देश आदिष्ट है असद्भावपर्यायोंसे और देश ( अनेक - २ ) आदिष्ट हैं तदुभयपर्यायोंसे अत एव पंचप्रदेशिक स्कंध ( अनेक - २ ) आत्माएँ हैं, आत्मा नहीं है और अवकन्य ( अनेक - २ ) हैं ।
२२ (अनेक २ ) देश आदिष्ट हैं सद्भावपर्यायोंसे, ( अनेक २ ) देश आदिष्ट हैं असद्भाव पर्यायोंसे और देश आदिष्ट है तदुभयपर्यायोंसे अंत एव पंचप्रदेशिक स्कंध ( अनेक - २ ) आत्माएँ हैं, आत्माएँ ( अनेक - २ ) नहीं हैं और अवक्तव्य 1
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org