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________________ संकेन-परिचय। टिप्पणों में प्रन्यके संकेताक्षरों के बाद पू.का उल्लेख न हो तो भकोंको प्रन्थगत यथायोग्य प्रकरण, अभ्याय आदिके या कारिकाके सूचक समझना चाहिए।] ब०,०,०, और मु. ये प्रतियोंके संकेत है। भ-दि० प्रतिगत टिप्पण । का कारिका, पं०-पकि, पृ० पृष्ठ. अनुपौ. अनुयोगद्वारसूत्र, भागमोदयसमिति, सूरत । अनेका. अनेकान्तब्यवस्थाप्रकरण, जैनप्रन्यप्रकाशक सभा,भमदाबाद। अनेकान्ती भनेकान्तजयपताकाटीका, गायकवाड सिरीझ, बडोदा। अमिधामभिभिधानचिन्तामणि, जैनधर्मप्रसारक सभा, भावनगर । अपय अवयविनिराकरण, (सिक्स बुद्धिस्ट न्यायटेक्स्दस्) एसियाटिक सोसायटी, कलकत्ता। . मश. अष्टशवी (असहल्यन्तर्गत) निर्णयसागर, बंबई। भाइस अष्टसहनी, निर्णयसागर, बंबई । भहस.पि.अष्टसहली विवरण, जैनप्रन्थप्रकाशक सभा, अहमदाबाद। भासमी. मातमीमांसा, सनातन जैनप्रन्थमाला, काशी। भासम्बन. मालम्बनपरीक्षा, अडियार लायरी, पडियार, मद्रास । भावनिक आवश्यकनियुकि, आगमोदय समिति, सूरत । इस. उत्तराध्ययनसूत्र " उत्पादा० उत्पादादिसिद्धिा, ऋषभदेव केसरीमल, रतलाम । कंपली. न्यायकंदलीटीका, विजयानगरम् सिरीम, काशी। कठो कठोपनिषद् । कर्ण प्रमाणवार्तिककी कर्णकगोमिकृत टीका, किताब महल, इलाहाबाद। कारिका. कारिकावली। कौषी कौषीतकी-उपनिषत् । लण्डन खण्डनखण्डवाय, लाजरस कंपनी, काशी। छान्दो छान्दोग्योपनिषत् ।। जैनत जेनतर्कभाषा, सिंघी जैन प्रन्थमाला,बई। वरवषिक तत्त्वचिन्तामणि, एशियाटिक सोसायटी, कलकत्ता। परव. योगभाज्यकी सत्ववैशारदी टीका, चौखम्बा, काशी। वरवसं० तत्वसंग्रह, गायकवाड सिरीम, बडोदा। वापसं०५० तत्वसंप्रहपनिका , तत्वार्थ तत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् , आईतमतप्रभाकर, पूना । वरवाटी तत्त्वार्थाधिगमसूत्रभाष्यकी हरिभवकृत टीका। तत्वार्थमा० तत्त्वार्थाधिगमसूत्रभाष्य, आईतमतप्रभाकर, पूना। तरवार्थमा. सि.टी. तत्त्वार्थाधिगमसूत्रभाष्यको सिद्धसेनकृत टीका, देवचन्द्र लालभाई, सूरत । तरवायचो. तत्त्वार्थश्लोकवार्तिक, गांधी नाथारंग, बंबई। तरवार्थसं० तत्त्वार्थाधिगमसूत्रभाष्यकी संबंधकारिका । तरखो. तत्त्वोपप्लवसिंह, गायकवाड सिरीझ, बडोदा। ता. तन्त्रवार्तिक, चौखम्बा संस्कृत सिरीझ, काशी। तात्पर्य न्यायवार्तिकतात्पर्यटीका, , , अन्यसं०१. द्रव्यसंग्रह-वृत्ति, जैनपब्लिशिंग हाऊस, आरा। धर्मसं०टी० धर्मसंग्रहणीटीका, देवचन्द्र लालभाई, सूरत । ध्यायकु. न्यायकुमुदचन्द्र, माणिकचन्द्र जैनप्रन्धमाला, बबई। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.001047
Book TitleNyayavatarvartik Vrutti
Original Sutra AuthorSiddhasen Divakarsuri
AuthorShantyasuri, Dalsukh Malvania
PublisherSaraswati Pustak Bhandar Ahmedabad
Publication Year2002
Total Pages525
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Nyay, Philosophy, P000, & P010
File Size11 MB
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