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________________ त्या विषया चार्यका मत । Jain Education International विषयानुक्रमणिका । निःसृतका जनमत लक्षण । शायाचार्यसंगत अनुमानका ऐकविध्य । अनुमानके अवययोंकी तर्कके विषयायाचार्यका मत अविनाभाव के नियामक संबंध के विषयमें दार्शनिकों के मतोंकी तुकमा । काकादिकी कपना करके पक्षधर्मत्व की बौद्धमय घटनापर विचार । वार्तिककी खाभासविषयक कारिका की तुलना । शाब्दके विषय में चर्चा | बीतरागकी पूजाकी सफताका जिनभकृत समर्थन । २४ २६८ २६८ २६९ परिशिष्ट । २१९ २७० २७१ २७२ ૨૦૧ २०३ २७५ आमाके परिणाम विषयमें मानामतवादका निरूपण । rath क्षणिकका विकासक्रम । मोक्षकी चर्चा । बुद्धवचनके प्रामाण्यमें धर्मकीर्तिप्रदत्त हेतु । २०६ मैनेवर दर्शनोंकी नवाभासोंमें घटना । २७७ १ व्यायावतारकी तुलना । २ म्यापावतारसूत्रवार्तिक तुलना । ३ श्यामावतारसूत्रकारिका सूची । म्यापावतारसूत्रशब्दसूची । ५ म्यागावतारसूत्रवार्तिककारिकासूची । ६ न्यायावतारसूनवार्तिकम्यसूची । ७ न्यायावतार वार्तिकवृत्तिगतान २७८ १५० १८५ २८७-३३२ For Private & Personal Use Only a B O ए ર૦ર १९७ १९९ वाद-वाद-प्रम्य-प्रन्थकाराणां सूची । ३०४ ८ म्यापाववावार्तिकगवान शब्दान सूची । ९ व्याया० तिगतानाम बतरणानां स्वोपज्ञकारिकाणां च सूची । १० टिप्पणगत बाद और बादी । 11 विष्णगत प्रथकारः । १२ टिप्पणगत ग्रन्थ । १३ डिप्पणगत शब्दों और विन ३०० २०१ २०१ ६०५ 212 २१९ ART M www.jainelibrary.org
SR No.001047
Book TitleNyayavatarvartik Vrutti
Original Sutra AuthorSiddhasen Divakarsuri
AuthorShantyasuri, Dalsukh Malvania
PublisherSaraswati Pustak Bhandar Ahmedabad
Publication Year2002
Total Pages525
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Nyay, Philosophy, P000, & P010
File Size11 MB
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