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४. आराहणापणगं 2332. कत्थइ लूयाए हओ, कत्थइ फोडीए कह वि निहओ हं।
कत्थइ मारीए पुणो, कत्थइ पडिया चडिक्का मे ॥१४८॥ 2333. कत्थइ फोडेहिं मओ, कत्थइ सूलेण णवर पोट्टस्स ।
कत्थइ वजेण हओ, कत्थ वि पडिओ मि टंकस्स ॥ १४९॥ 2334. कत्थइ सूलारूढो, कत्थइ उब्बंधिऊण वहिओ हं ।
कत्थइ कोरिमसेवा, कत्थइ मे गुग्गुलं धरियं ॥१५० ॥ 2335. कत्थइ जलणपविट्ठो, कत्थइ सलिलम्मि आगया मञ्चू ।
कत्थइ गएण मलिओ, कत्थइ सीहेण गिलिओ हं ॥१५१॥ 2336. कत्थइ तण्हाए मओ, कत्थइ सुक्को बुभुक्खवियणाए ।
कत्थइ सावयखंद्धो, कत्थइ सप्पेण डक्को हं ॥१५२॥ 2337. कत्थइ चोरविलुत्तो, कत्थइ भुत्तो म्हि सन्निवाएणं ।
कत्थइ सिमेण पुणो, कत्थइ हो ! वात-पित्तेहिं ॥ १५३॥ 2338. कत्थइ इट्ठविओए, संपत्तीए अणिट्ठलोयस्स ।
कत्थइ सज्झसभरिओ उव्वाओ कत्थइ मओ हं॥१५४॥ 2339. कत्थइ चक्केण हओ, भिण्णो कुंतेहिं लउडपहरेहिं ।
छिण्णो खग्गेण मओ, कत्थइ सेल्लेण भिण्णो हं ॥१५५॥ 2340. कत्थइ असिधेणूए, कत्थइ मंतेहिं नवर निहओ हैं।
कत्थइ सीएण मओ, कत्थइ उण्हेण सोसियओ ॥ १५६॥ 2341. अरईए कत्थवि मओ, मुत्तनिरोहेण कत्थइ मओ मि ।
कत्थइ वचनिरोहे, कत्थइ य अजिन्नदोसेणं ॥१५७॥ 2342. कत्थवि कुंभीपाए, कत्थइ करवत्तफालिओ निहओ।
कत्थइ कडाहडड्ढो, कत्थइ कत्तीसमुक्त्तो ॥१५८॥
१. या य उक्का मे मुकु० प्रत्य० ।। २. कारिसिसेवा प्रत्य० ।। ३. सुक्को मि दुसहभुक्खाए। खे० ।। ४. ° खइलो क मुकु० प्रत्य० ॥ ५. हं। कत्थइ वञ्चणिरोहे, कथइ य अजिण्णदोसेणं ॥ १५६ ॥ कथा सीएण मभो, कत्थइ उण्हेण सोसिमो अहयं । अरईए कत्थइ मनो, कत्थइ रोहेण सोत्ताणं ॥ १५७॥ मुकु० प्रत्य० ॥
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