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२०६ सिरिउज्जोयणसूरिविरइयकुवलयमालाकहाअंतग्गयं 2320. कललावत्थासु मओ अब्बुयभावे वि कत्थइ विलीणो ।
गलिओ पेसीसमए गब्भे बहुयाण णारीणं ॥१३६॥ 2321. पिंडीमेत्तो कत्थइ गलिओ खारेण गब्भवासाओ ।
अट्ठियबंधे वि मओ, अणटिबंधे वि गलिओ हं ॥१३७॥ 2322. खरखारमूलदड्रो पंसुलि-समणी-कुमारि-रंडाणं ।
गलिओ लोहियवाहा बहुसो हं नवर संसारे ॥१३८॥ 2323. कत्थइ भएण गलिओ, कत्थइ आयास-खेयवियणत्तो।
कत्थइ जणणीए अहं फालियपोट्टाए गयजीवो ॥१३९॥ 2324. कत्यइ दरनीहरिओ जणणीजोणीए हं मुओ बहुसो।।
कत्थइ नीहरिओ चिय गुरुवियाँभिंभलो गलिओ ॥ १४० ॥ 2325. कत्थइ जणणीए अहं ठइयमुहो थणमुहेण वहिओ हं।
कत्थइ पक्खित्तो चिय सवसयणे जीवमाणो वि ॥१४१॥ 2326. जायावहारिणीए कत्थइ हरिओ मि छट्ठदियहम्मि ।
कत्थइ बलि चिय कओ जोगिणिसमयम्मि जणणीए ॥१४२॥ 2327. कत्थइ पूयणगहिओ, कत्थइ सउणीगहेण गहिओ हं।
कत्थइ बिरालिगहिओ हओ मि वालग्गहगहेणं ॥१४३॥ 2328. कत्थइ खासेण मओ, कत्थइ सोसेण सोसियसरीरो।
कत्थइ जरेण वहिओ, कत्थइ उयरेण भग्गो हं ॥१४४॥ 2329. कत्थइ कुटेण अहं सडिओ सव्वेसु चेव अंगेसु ।
कत्थइ भगंदरेणं दारियदेहो गओ निहणं ॥ १४५॥ 2330. दंतवियणाए कत्थइ, कत्थइ निहओ मि कण्णसूलेणं ।
अच्छीदुक्खेण पुणो, सिरवियणाए गओ निहणं ॥१४६॥ 2331. कत्थई रुहिरपवाहेण नवर णित्थामयं गयं जीयं ।
कत्थइ पुरीसवाहो ण संठिओ जाव वोलीणो ॥१४७॥
१. अवत्तभा प्रत्य० ॥ २. °धे गमो बहुसो॥ खे० ॥ ३. गयचित्तो॥ मुकु० प्रत्य० ॥ ४. °णावेंभलो मुकु० प्रत्य० ॥ ५. बलिं चिय खे०॥ ६. बिडालग मुकु० प्रत्य० ॥ ७. गमओ णासं ॥ मुकु० प्रत्य० ॥
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