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________________ १८२ 'आराहणासार'अवरणामा 2058. मूलय सूयरि वल्ला अल्ला सव्वा वि कंदजाईओ। अल्लहलिद्दा सूरणकंदो तह वजकंदो य ॥१३७॥ 2059. गंजरि कुयारि थोहरि वंसकरिल्ला य लूणय गलोई । लसणं लोढा खिल्लुइड किसलपत्ताई गिरिकन्नी ॥ १३८॥ 2060. भूमिरुहा विरुहाई खरिंसुया टक्कवत्थुलो पढमो । वणपत्ताई बिराली सत्तावरि कोमलंबिलिया ॥१३९ ॥ 2061. अलकचूरो अद्दो पलंकाई य एगपिंडालू । थेगडल्लमुत्थ लूणय रुक्खच्छल्ली अमयवल्ली ॥१४॥ 2062. एए अन्ने वि मए जीवा साहारणा उ जे निहया। ते सब्वे खामेमी, अह पत्तेए खमावेमि ॥१४१॥ 2063. वड-खयर-पलासा निंब-जंबु-सहकार-तिणिस-नग्गोहा । साल-तमाल-असोगा चंपय-पुन्नाग-संठाणा ॥१४२॥ 2064. इय पत्तेयतरूणं अणेगभेयाण जमिह दुट्ठ कयं । सहसा अन्नाणेण व कारणओ वा तयं खामे ॥ १४३॥ 2065. संख-कवड्डय-गंडोल-अलस-आसंग-अक्ख-सिप्पाओ। गड्डर ईयल वालय बहुविह किमियाइ वंतरिया ॥१४४॥ 2066. पूयर-जलोयपमुहा जीवा बेइंदिया मए जे य । वहिया उद्दविया वा तिविहेणं ते खमावेमि ॥१४५॥ 2067. कीडी-चूडइलाओ कुंथू-उद्देहियाइ घीवहिला । इल्ली मंकुण जूया खडही भू(१लू)या य गद्दहिया ॥ १४६॥ 2068. कन्नसियाली पिसुया गोगीडा छगण-धन्नकीडा य । मेहरिया तेइंदीसत्ते पहए तिहा खामे ॥ १४७॥ 2069. विंछ-कोलिय-मसगा मक्खी कुत्ती य, चंचडा दंसा । भमरा भमरी तिड्डा सलम-पतंगा य खजोया ॥१४८॥ १. गज्जर सं १ सं २॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001045
Book TitlePainnay suttai Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyavijay, Amrutlal Bhojak
PublisherMahavir Jain Vidyalay
Publication Year1987
Total Pages427
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, agam_anykaalin, & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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