SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 194
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २. आराहणापडाया 1603. रागो होइ मणुण्णे गंथे, दोसो य होइ अमणुन्ने । गंथच्चाएण पुणो राग-दोसा दुवे चत्ता ॥ ६७१॥ 1604. सी-उण्ह-दंस-मसयादियाण दिण्णो परीसहाण उरो। सीयाइनिवारणए गंथे निययं जहण्णेण ॥ ६७२॥ 1605. निस्संगो चेव सया कसायसंलेहणं कुणइ साहू। संगो कसायहेऊ अग्गिस्स व होति कट्ठाणि ॥ ६७३ ॥ 1606. सव्वत्थ होइ लहुओ रूवं वेसासियं हवइ तस्स । गरुओ खु संगसत्तो संकिज्जइ चेव सव्वत्थ ॥ ६७४ ॥ 1607. तम्हा सव्वे संगे अणागए वट्टमाणएऽतीए । तं सव्वत्थ वि वारय कय-कारिय-अणुमईहिं सया ॥ ६७५ ॥ 1608. एवं कयकरणिजो तिकाल-तिविहेण संजओ होइ । आसं तण्हं संगं छिंद ममत्तं च मुच्छं च ॥ ६७६ ॥ 1609. सव्वग्गंथविमुक्को सीईभूओ पसंतचित्तो य । जं पावइ मुत्तिसुहं न चक्कवट्टी वि तं लहइ ॥ ६७७ ॥ [अपरिग्गहो] 1610. साहंति जं महत्थं, आयरियाइं च जं महल्लेहिं । जं च महल्लाइं तओ महव्वयाइं भवे ताई ॥६७८॥ 1611. तेसिं चेव वयाणं रक्खटुं राइभोयणनिवित्ती। __ अट्ठ य पवयणमायाओ भावणाओ य सव्वाओ ॥ ६७९ ॥ 1612. निस्सल्लस्सेह महन्वयाई अक्खंडनिव्वणगुणाई। उवहम्मति य ताई नियाणमाईहिं सल्लेहिं ॥ ६८०॥ 1613. तत्थ नियाणं तिविहं होइ, पसत्था-ऽपसत्थभोगक्यं । तिविहं पि तं नियाणं पलिमंथो सिद्धिमग्गस्स ॥ ६८१॥ 1614. संजमहेउं पुरिसत्त-सत्त-बल-विरिय-संघयण-बुद्धी। ___सावयबंधु-कुलादीणियाणय होइ उ पसत्थं ॥ ६८२ ॥ [पसत्थनियाणं] 1615. सोहग्ग-जाइ-कुल-रूवमाइ आयरिय-गणहर-जिणतं । पत्थिते अपसत्थं माणेणं नंदिसेण व्व ॥ ६८३॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001045
Book TitlePainnay suttai Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyavijay, Amrutlal Bhojak
PublisherMahavir Jain Vidyalay
Publication Year1987
Total Pages427
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, agam_anykaalin, & agam_related_other_literature
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy