SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 184
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १३१ २. आराहणापडाया 1474. जीवो बंभा, जीवम्मि चेव चरिया हविज जा जइणो। तं जाण बंभचेरं विमुक्कपरदेहतत्तिस्स ॥ ५४२॥ 1475. वसहि१कहरनिसिजिं३दिय४कुटुंतर५पुव्वकीलिय६पणीए७। अइमायाहार ८विभूसणा९ य नव बंभगुत्तीओ ॥ ५४३॥ 1476. कामकया इत्थिकया दोसा असुइत्त वुड्सेवा य। संसग्गीदोसा वि य करित इत्थीसु वेरग्गं ॥ ५४४ ॥ 1477. जावइया किर दोसा इह-परलोए दुहावहा हुँति । आवहइ ते उ सव्वे मेहुणसण्णा मणूसस्स ॥ ५४५॥ 1478. सोयइ वेवइ तप्पइ, जंपइ कामाउरो असंबद्धं । रतिंदिया य निदं न लहइ, पज्झाइ विमणो य ॥ ५४६ ॥ 1479. पाणितलधरियगंडो बहुसो चिंतेइ किं पि दीणमुहो । कामुम्मत्तो अंधो अंतो डज्झइ य चिंताए ॥५४७॥ 1480. कामाउरो नरो उण कामिनंते जणे अलभते । मारइ अणत्थयं सो गिरि-जलण-जलेसु अप्पाणं ॥ ५४८॥ 1481. रइ-अरइतरलजीहाजुएण संकप्पउन्भडफडेणं । विसयबिलवासिणा मयमुहेण बिब्बोयरोसेण ॥ ५४९॥ 1482. कामभुयगेण दवा लज्जानिम्मोय-दप्पदाढेण । नासंति नरा अवसा दसहदुक्खावहविसेण ॥ ५५०॥ 1483. आसीविसेण दट्ठस्स हुँति वेगा नरस्स सत्तेव । कामभुयंगमदट्ठस्स हुंति वेया दस दुरंता ॥ ५५१ ॥ 1484. पढमे सोयइ वेगे, दटुं तं इच्छए बिइयवेगे। नीससइ तइयवेगे, आरुहइ जरो चउत्थम्मि ॥ ५५२॥ 1485. डज्झइ पंचमवेगे अंगं, छठे न रोयए भत्तं । मुच्छिज्जइ सत्तमए, उम्मत्तो होइ अट्ठमए ॥ ५५३॥ . 1486. नवमे किं पि न याणइ, दसमे पाणेहिं मुच्चइ मयंधो । संकप्पवसेण पुणो वेगा तिव्वा य मंदा य ॥ ५५४ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001045
Book TitlePainnay suttai Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyavijay, Amrutlal Bhojak
PublisherMahavir Jain Vidyalay
Publication Year1987
Total Pages427
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, agam_anykaalin, & agam_related_other_literature
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy