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सिरिवीरभद्दायरिय विरइया
1487. सूरग्गी दहइ दिया, रतिं च दिया य डहइ कामग्गी ।
सूरस्स अत्थि उज्झा (१ च्छा ) यणं पि, कामग्गिणो नत्थि ॥ ५५५ ॥ 1488. कामपिसायग्गहिओ हियमहियं वा न अप्पणो मुणइ । पिच्छ कामग्घत्थो हियं भणतं पिसत्तुं व ॥ ५५६ ॥ 1489. अयसमणत्थं दुक्खं इहलोए, दुग्गइं च परलोए ।
संसारं च अनंतं न गणइ विसयामिसे गिद्धो ॥ ५५७ ॥ 1490. ललक्कन रयवियणाओ घोरसंसारसायरुव्वहणं ।
संगच्छ, न य पिञ्छइ तुच्छत्तं कामियसुहस्स ॥ ५५८ ॥ 1491 गायइ नच्चइ वायइ, धुयइ अवाणं च, मलइ अंगाई ।
सोइ मुत्तपुरीसं कुलम्मि जाओ वि विसयवसो ॥ ५५९ ॥ 1492 वम्महसरसयविद्धो गिद्धो वणिउ व्व रायपत्तीए ।
पाउक्खालयगेहे दुग्गंधे णेगसो वसिओ ॥ ५६० ॥ 1493. कामुम्मत्तो न मुणइ गम्माऽगम्मं पि वेसियाणो व्व । सिट्ठी कुबेरदत्तो व्व नियसुयासुरयरइरतो ।। ५६१. ।। 1494. इहलोगे वि महलं दुक्खं कामस्स वसगओ पत्तो ।
मरिउं पावरद्ध कडारपिंगो गओ नरगं ॥ ५६२ ॥ 1495. एते सव्वे दोसा न हुंति पुरिसस्स बंभयारिस्स ।
विवरीया व गुणा भवंति विविहा विरागिस्स ॥ ५६३ ॥ 1496. महिला कुलं सवंसं पई सुयं मायरं च पियरं च ।
विसयंधा अगणिती दुक्खसमुद्दम्मि पाडेइ ॥ ५६४॥ 1497. माणुण्णयस्स पुरिस हुमस्स नीओ वि आरुइइ सीसं । महिलानिस्सेणीए सुहेण फलभारनमियस्स || ५६५ ॥ 1498 माणुण्णया वि पुरिसा ओमंथिज्जंति दुट्ठमहिलाहिं । जह अंकुसेण करिणो निसियाविज्जति बलियो वि ॥ ५६६ ॥ 1499 सुव्वंति य महिलऽत्थे लोए जुज्झाइं बहुपयाराई । भयजणणाई जणाणं भारह - रामायणाईणि ।। ५६७ ॥
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