SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 185
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ F. १३२ सिरिवीरभद्दायरिय विरइया 1487. सूरग्गी दहइ दिया, रतिं च दिया य डहइ कामग्गी । सूरस्स अत्थि उज्झा (१ च्छा ) यणं पि, कामग्गिणो नत्थि ॥ ५५५ ॥ 1488. कामपिसायग्गहिओ हियमहियं वा न अप्पणो मुणइ । पिच्छ कामग्घत्थो हियं भणतं पिसत्तुं व ॥ ५५६ ॥ 1489. अयसमणत्थं दुक्खं इहलोए, दुग्गइं च परलोए । संसारं च अनंतं न गणइ विसयामिसे गिद्धो ॥ ५५७ ॥ 1490. ललक्कन रयवियणाओ घोरसंसारसायरुव्वहणं । संगच्छ, न य पिञ्छइ तुच्छत्तं कामियसुहस्स ॥ ५५८ ॥ 1491 गायइ नच्चइ वायइ, धुयइ अवाणं च, मलइ अंगाई । सोइ मुत्तपुरीसं कुलम्मि जाओ वि विसयवसो ॥ ५५९ ॥ 1492 वम्महसरसयविद्धो गिद्धो वणिउ व्व रायपत्तीए । पाउक्खालयगेहे दुग्गंधे णेगसो वसिओ ॥ ५६० ॥ 1493. कामुम्मत्तो न मुणइ गम्माऽगम्मं पि वेसियाणो व्व । सिट्ठी कुबेरदत्तो व्व नियसुयासुरयरइरतो ।। ५६१. ।। 1494. इहलोगे वि महलं दुक्खं कामस्स वसगओ पत्तो । मरिउं पावरद्ध कडारपिंगो गओ नरगं ॥ ५६२ ॥ 1495. एते सव्वे दोसा न हुंति पुरिसस्स बंभयारिस्स । विवरीया व गुणा भवंति विविहा विरागिस्स ॥ ५६३ ॥ 1496. महिला कुलं सवंसं पई सुयं मायरं च पियरं च । विसयंधा अगणिती दुक्खसमुद्दम्मि पाडेइ ॥ ५६४॥ 1497. माणुण्णयस्स पुरिस हुमस्स नीओ वि आरुइइ सीसं । महिलानिस्सेणीए सुहेण फलभारनमियस्स || ५६५ ॥ 1498 माणुण्णया वि पुरिसा ओमंथिज्जंति दुट्ठमहिलाहिं । जह अंकुसेण करिणो निसियाविज्जति बलियो वि ॥ ५६६ ॥ 1499 सुव्वंति य महिलऽत्थे लोए जुज्झाइं बहुपयाराई । भयजणणाई जणाणं भारह - रामायणाईणि ।। ५६७ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001045
Book TitlePainnay suttai Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyavijay, Amrutlal Bhojak
PublisherMahavir Jain Vidyalay
Publication Year1987
Total Pages427
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, agam_anykaalin, & agam_related_other_literature
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy