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२. आराहणापडाया 1399. वंदणभत्तीमित्तेण चेव महिलाहिवो उ पउमरहो ।
देविंदपाडिहेरं पत्तो जाओ गणहरो य ३ ॥४६७ ॥ 1400. आराहणापुरस्सरमणण्णहियओ विसुद्धलेसागो ।
संसारक्खयकरणं ता मा मुच्ची नमुक्कारं ॥४६८॥ 1401. अरहंतनमुक्कारो इक्को वि हविज जो मरणकाले ।
सो जिणवरेहिं दिट्ठो संसारुच्छेयणसमत्थो ॥४६९ ॥ 1492. भावनमुक्कारविवज्जियाई जीवेण अकयकजाई।।
गहियाणि य मुक्काणि य अणंतसो दव्वलिंगाई ॥ ४७०॥ 1403. चउरंगाइ वि सेणाइ नायगो जह पयट्टगो होइ ।
तह भावनमुक्कारो मरणे तव-नाण-चरणाणं ॥ ४७१॥ 1404. आराहणापडायागहणे हत्थो भवे नमुक्कारो ।
तह सुगइमग्गगमणे रहो व्व जीवस्स अप्पडिहो ॥ ४७२॥ 1405. अण्णाणी वि य गोवो आराहित्ता मओ नमुक्कारं ।
चंपाए सिट्ठिसुओ सुदंसणो विस्सुओ जाओ ४ ॥ ४७३ ॥ 1406. नाणोवओगरहिओ न तरइ नियचित्तनिग्गहं काउं ।
नाणं अंकुसभूयं मत्तस्स व गुरुगइंदस्स ॥ ४७४ ॥ 1407. विजा जहा पिसायं सदुवउत्ता करेइ पुरिसवसं ।
नाणं हिययपिसायं सटुवउत्तं तह करेइ ॥ ४७५ ॥ 1408. उवसमइ किण्हसप्पो जह मंतेण विहिणा पउत्तेण ।
तह हिययकिण्हसप्पो सुटुवउत्तेण नाणेण ॥ ४७६ ॥ 1409. आरण्णओ वि मत्तो हत्थी नियमिजए वरत्ताए ।
जह, तह नियमिज्जइ सो नाणवरत्ताइ मणहत्थी ॥ ४७७॥ 1410. जह मक्कडओ खणमवि मज्झत्थो अच्छिउं न सक्केइ ।
तह खणमवि मज्झत्यो विसएहिं विणा न होइ मणो ॥ ४७८॥ 1411. तम्हा सो तड्डणओ मणमक्कडओ जिणोवएसेणं ।
काउं सुत्तनिबद्धो रामेयव्वो सुहज्झाणे ॥ ४७९ ॥
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