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१५. भत्तपरिन्नापइन्नयं २७७८. दुक्खक्खय कम्मक्खय समाहिमरणं च बोहिलाभो य ।
एवं पत्थेयव्वं, न पत्थणिजं तंओ अन्नं ॥ १३९॥ २७७९. उज्झियनियाणसल्लो निसिभत्तनियत्ति-समिइ-गुत्तीहि ।
पंचमहव्वयरक्खं कयसिवसोक्खं पसाहेइ ॥१४०॥ २७८०. इंदियविसयपसत्ता पडंति संसारसायरे जीवा ।
पक्खि व्व छिन्नपक्खा सुसीलगुणपेहुणविहूणा ॥ १४१॥ २७८१. न लहइ जहा लिहंतो मुहिलियं अट्ठियं रसं सुणओ ।
सो सइतालुयरसियं विलिहंतो मन्नए सोक्खं ॥१४२॥ २७८२. महिलापसंगसेवी न लहइ किंचि वि सुहं तहाँ पुरिसो।
सो मन्नए वराओ सयकायपरिस्समं सोक्खं ॥ १४३॥ २७८३. सुट्ठवि मग्गिजंतो कत्थ वि कयलीइ नत्थि जह सारो ।
इंदियविसएसु तहा नत्थि सुहं सुट्ठ वि गविढं ॥ १४४॥ २७८४. सोएण पवसियपिया, चक्खूराएण माहुरो वणिओ।
घाणेण रायपुत्तो निहओ, जीहाए सोदासो ॥१४५॥ २७८५. फासिदिएणं दिट्ठो नट्ठो सोमालिया महीपालो ।
एक्केकेण वि निहया, किं पुण जे पंचसु पसत्ता ? ॥१४६॥ २७८६. विसयाविक्खो निवडइ, निरविक्खो तरइ दुत्तरभवोहं ।
देवीदीवसमागयभाउयजुयलं व भणियं च ॥१४७॥ २७८७. छलिया अवयक्खंता निरावयक्खा गया अविग्घेणं ।
तम्हा पवयणसारे निरावयक्खेण होयव्वं ॥१४८॥ २७८८. विसए अवयक्खंता पडंति संसारसागरे घोरे ।
विसएसु निरवयक्खा तरंति संसारकंतारं ॥ १४९॥ २७८९. ता धीर ! धीबलेणं दुईते दमसु इंदियमइंदे ।
तेणुक्खयपडिवक्खो हराहि आराहणपडागं ॥१५॥
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१. जमो सं० ॥ २. हा मूढो जे० ॥ ३. केलीइ सा०॥ ४. ण दुट्टो सा०॥
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