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५. मरणविभत्तिपरण्णयं
१३५६. बहुदुक्खपीलियाणं मइमूढाणं अणप्पवसगाणं ।
तिरियाणं नत्थि सुहं, नेरइयाणं कओ चेव ? ।। ६०७॥ १३५७. हयगब्भवास - जम्मण - वाहि-जरा-मरण - रोग - सोगेहिं । अभिभू माणुस्से बहुदोसेहिं न सुहमत्थि ॥ ६०८॥ १३५८. मंस - ऽट्ठियसंघाए मुत्त-पुरीसभरिए नवच्छिड्डे ।
असुरं परिस्सर्वते, सुहं सरीरम्मि किं अस्थि ? || ६०९॥ १३५९. इट्ठजणविप्पओगो, चवणभयं चेव देवलोगाओ ।
एयारिसाणि सग्गे देवा वि दुहाणि पाविंति ॥ ६१० ॥ १३६०. ईसा -विसाय-मय-कोह - लोह - दोसेर्हि एवमाहिं ।
देवा वि समभिभूया, तेसुं वि य कओ सुहं अस्थि ? ॥ ६११ ॥ १३६१. एरिसयदोसपुण्णे खुत्तो संसारसायरे जीवो ।
जं अइचिरं किलिस्सइ तं आसवहेउअं सव्वं ॥ ६१२ ॥ १३६२. राग-दोसपसत्तो इंदियवसओ करेइ कम्माई |
आसवदारेहिं अवंगुएहिं तिविहेण करणेणं ॥ ६१३ ॥ १३६३. धिद्धी ! मोहो, जेणिह हियकामो खलु स पावमायरइ । नहु पावं हवइ हियं, विसं जहा जीवियत्थिस्स ॥ ६१४ ॥ १३६४. रागस्स य दोसस्स य धिरत्यु ! जं नाम सद्दहंतो वि ।
पावेसु कुणइ भाव आउरविज्जु व्व अहिए ॥ ६१५ ॥ १३६५. लोभेण अणप्पज्झो कज्जं न गणेइ आयअहियं पि ।
अइलोहेण विणस्स मच्छु व्व जहा गलं गिलिओ ॥ ६१६ ॥ १३६६. धम्मं अत्थं कामं तिणि वि कुद्धो जणो परिचय |
ताई करेइ जेहि उ किलिस्सइ इहं परभवे य ॥ ६१७ ॥ १३६७. हुंति अजुत्तस्स विणासगाणि पंचिंदियाणि पुरिसस्स । उरगा इव उग्गविसा गहिया मंतोसहीहि विणा ।। ६१८ ॥
१. असुहं सं० जे० पु० ॥ २. तेसि कत्तो सुहं नाम ? सं० ॥ ३. अहव घत्थो क° सा० ॥ ४. तिष्णऽवि जे० ॥ ५. वि बुद्धो ज° सा० । वि अत्थो ज° सं० ॥
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