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________________ स्थानाङ्गसूत्रटीकायामुद्धृतानां साक्षिपाठानां सूचिः गाथा पृष्ठाङ्कः | गाथा पृष्ठाङ्कः जुन्नेहिं खंडिएहिं... [बृहत्कल्प० ६३६७] २८४ | चमरे णं भंते !.. [भगवती० ३।१।३,१५] २९१ दसठाणठिओ कप्पो....[बृहत्कल्प० ६३६३] २८४ | नाणं पयासयं....[आव० नि० १०३] २९३ आचेल १ कुद्देसिय....[बृहत्कल्प० ६३६४] २८४ | रागो द्वेषस्तथा....[ ] २९४ बारस १ दस २... [बृहत्कल्प० ६४७२] २८४ | कसिणं केवलकप्पं....[आव०नि० १०९२] २९४ पारणगे आयाम पंचसु...[ ] २८४ | जह गोमडस्स गंधो...[उत्तरा० ३४।१६] २९५ कप्पट्ठिया वि पइदिण... [ ] २८४ | जह सुरभिकुसुमगंधो...[उत्तरा० ३४।१७] २९५ सव्वे चरित्तवंतो उ,...[बृहत्कल्प० ६४५४] २८५/ से णूणं भंते !..[भगवती० १३।१।२९-३०] २९६ पंचविहे ववहारे,...[बृहत्कल्प० ६४५५] २८५ / न वि य फुसंति... [बृहत्सं० २४३] २९८ गच्छम्मि य निम्माया...[बृहत्कल्प० ६४८३] २८५ छच्चेव १ अद्धपंचम... [बृहत्सं० २४४] २९८ धिइबलिया तवसूरा...[बृहत्कल्प० ६४८४] २८५ | तिभागो १ योजनस्य,... [बृहत्सं० २४५] २९८ पव्वज्जा सिक्खावय-..[बृहत्कल्प० ११३२, विदिसाउ दिसं पढमे.... [ ] २९९ १४४२, विशेषाव० ७] २८५ | पंचमए विदिसीए... [ ] जच्चाईहि अवनं... [बृहत्कल्प० १३०५] २८६ अपज्जत्तगसुहुम-... [भगवती० ३४।१।३८] २९९ अहवा वि वए.... [ २८६ | सुत्ते चउसमयाओ...[विशेषणवती २३] २९९ एत्थ कुलं विनेयं.... [ ] २८७ | जो तमतमविदिसाए.... [विशेषणवती २४] २९९ सव्वो वि नाण-.... [ ] २८७ | उववायाभावाओ न...[विशेषणवती २६] २९९ पाययसुत्तनिबद्धं को वा.... [ ] २८७ | चरमे नाणावरणं पंचविहं.....[ ] ३०० काया वया य ते...[बृहत्कल्प० १३०३] २८७ | धम्मजिणाओ संती....[आव० नि० १३] ३०० बत्तीस अट्ठवीसा....[बृहत्सं० ११७] २९१ | एगो भगवं वीरो पासो...[आव०नि०२२४ पंचास चत्त छच्चेव...[बृहत्सं० ११८] २९१ विशेषाव० १६४२] ३०१ एक्कारसुत्तरं हेट्ठिमेसु....[बृहत्सं० ११९] २९१ संती कुंथू य अरो....[आव० नि० २२३] ३०१ २९९ For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.001027
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaydevsuri, Jambuvijay
PublisherMahavir Jain Vidyalay
Publication Year2003
Total Pages828
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Dictionary, & agam_sthanang
File Size39 MB
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