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________________ स्थानाङ्गसूत्रटीकायामुद्धृतानां साक्षिपाठानां सूचिः २१५ २१५ गाथा पृष्ठाङ्कः | गाथा पृष्ठाङ्कः आगमओऽणुवउत्तो...(विशेषाव० २०९१] १९१ | अकुड्डो होइ मंचो मालो... [ ] २०९ अभिलावो पुल्लिंगाभिहाणमेत्तं... | सागरमेगं तिय सत्त.... [बृहत्सं० २३३] २१० [विशेषाव० २०९२] १९२ जा पढमाए जेट्ठा सा.... [बृहत्सं० २३४] २१० वेयपुरिसो तिलिंगो....[विशेषाव० २०९३] १९२ पढमाऽसीइसहस्सा बत्तीसा..[बृहत्सं० २४१] २११ धम्मपुरिसो तयज्ज-...[विशेषाव० २०९३] १९२ | लवणे उदगरसेसु य....[ ] २१२ उग्गा भोगा रायन्न... [आव० नि० २०२] १९२ | लवणे कालसमुद्दे....[बृहत्सं० ९०] २१२ तत्थ णं जे से....[जम्बूद्वीपप्र० ७।३५०] १९५ | नत्थि त्ति पउरभावं....[बृहत्सं० ९१] २१२ अरहंति वंदण-.....[विशेषाव० ३५६४] १९७| सोहम्मे पंचवन्ना....[बृहत्सं० १३२] २१३ दुष्प्रतिकारौ मातापितरौ...[प्रशम० ७१] १९९ जीवमजीवे रूवमरूवी...[आव०भा० १९५] २१४ सूओ १ दणो २.....[ ] २०० ओदइय उवसमिए...[आव०भा० २००] २१४ होइ रसालू व....[ ] २०० | अहवा अहपरिणामो...[ ] २१५ दो घयपला महुपलं...[ ] २०० | उड्ढे उवरिं जं ठिय....[ ] कयउवयारो जो होइ.... [ ] २०१ | मज्झणुभावं खेत्तं...[ ] सम्मत्तदायगाणं....[उपदेशमाला० २६९] २०१ | आ षोडशाद्भवेद् बालो.....[ ] २१७ जो जेण जम्मि.... [निशीथभा० ५५९३] २०२ | पव्वयणं पव्वज्जा.... [पञ्चव० ५] २१८ सीओसिणजोणीया.... [जीवस० ४७, | तुद व्यथने [पा०धा० १२८२] बृहत्सं० ३६०] २०५ | प्लुङ् गतौ [पा०धा० ९५८] अच्चित्ता खलु जोणी....[जीवस० ४६, | सेहस्स तिन्नि भूमी....[व्यव० १०।४६०४] २१९ बृहत्सं० ३५९] | २०५ | पुव्वोवठ्ठपुराणे.....[व्यव० १०।४६०५] २१९ एगिदिय-नेरइया... [जीवस० ४५, एमेव य मज्झिमगा...[व्यव० १०।४६०६] २१९ बृहत्सं० ३५८] २०६ | आहारे उवही सेज्जा,..व्यव० १०१४५९९] २२० जे के वि....प्रज्ञा० ११८७] २०६ | उट्ठाणासणदाणाई...[व्यव० १०।४६००] २२० पउमुप्पलनलिणाणं,....प्रज्ञा० १।९०] २०६ | उट्ठाणं वंदणं चेव.....[व्यव० १०।४६०१] २२० बिट बाहिरपत्ता य... [प्रज्ञा० ११९१] २०६ / उपपातो देव-....[तत्त्वार्थ० २/३५] २२३ लिंबंब जंबु कोसंब....प्रज्ञा० १३] २०६ / नामं १ ठवणा.... [आव०नि० ८०९] २२४ एएसिं मूला वि.... [प्रज्ञापना० १।४०] २०७| अट्ठपएसो रुयगो....[आचाराङ्गनि० ४२] २२४ भदि कल्लाणसुहत्थो....विशेषाव० ३४३९] २०८ | दुपएसादि दुरुत्तर....[आचाराङ्गनि० ४४] २२५ अहवा भज सेवाए... [विशेषाव० ३४४६] २०९ सगडुद्धिसंठियाओ...[आचाराङ्गनि० ४६] २२५ अहवा भा भाजो.... [विशेषाव० ३४४७] २०९ | इंद १ ग्गेयी २....[आचाराङ्गनि० ४३] २२५ अहवा भंतोऽपेओ.... [विशेषाव० ३४४८] २०९ जेसिं जत्तो सूरो....[विशेषाव० २७०१] २२५ नेरइयाइभवस्स व.... [विशेषाव० ३४४९] २०९ पन्नवओ जयभिमुहो.... [ ] २२५ २१८ २१८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001027
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaydevsuri, Jambuvijay
PublisherMahavir Jain Vidyalay
Publication Year2003
Total Pages828
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Dictionary, & agam_sthanang
File Size39 MB
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