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स्थानाङ्गसूत्रटीकायामुद्धृतानां साक्षिपाठानां सूचिः
गाथा पृष्ठाङ्कः | गाथा
पृष्ठाङ्कः चत्तारि लक्ख छत्तीस...[बृहत्क्षेत्र० ५।४७] १४३ | गद्धादिभक्खणं....[उत्तरा० नि० २२३] १६१ सोमणस-मालवंता...[बृहत्क्षेत्र० ५।४८] १४३ | सीहाइसु अभिभूओ....[पञ्चव० १६२०] १६१ सोलहियं सयमेगं...[बृहत्क्षेत्र० ५।४९] १४३ | चत्तारि विचित्ताई....[आचा० नि० २७१] १६१ धायइवरम्मि दीवे...[बृहत्क्षेत्र० ५।३७] १४३ णाइविगिट्ठो य तवो....[आचा०नि० २७२] १६१ वासहरा वक्खारा....[बृहत्क्षेत्र० ५।३८] १४३ | वासं कोडीसहिय...[आचा०नि०२७३/१] १६१ उसुयार जमग....[बृहत्क्षेत्र० ५।३९] १४३ | संघयणादणुरूवं एत्तो...[पञ्चव० १५७४] १६१ सोहम्मे पंचवन्ना....[बृहत्संग्र०१३२] १४५ | देहम्मि असंलिहिए....[पञ्चव० १५७७] १६१ हट्ठस्स अणवगल्लस्स,...[जम्बूद्वीपप्र० २।१, | भावमवि संलिहेइ....[पञ्चव० १५९३] १६१
बृहत्सं० २०७] __ १४८ | भावेइ भावियप्पा.... [पञ्चव० १५९४] १६१ सत्त पाणूणि से...[जम्बू० २।२,,
जम्म-जरा-मरणजलो....[पञ्चव० १५९५] १६२ बृहत्सं० २०८] १४८ धन्नोऽहं जेण मए....[पञ्चव० १५९६] । तिण्णि सहस्सा सत्त... [जम्बू० २।३, एयस्स पभावेणं....[पञ्चव० १५९७] १६२
बृहत्सं० २०९] १४८ चिंतामणी अउव्वो.... [पञ्चव० १५९८] १६२ पुव्वस्स उ परिमाणं...[बृहत्सं० ३१६] १४८ | एत्थं वेयावडियं....[पञ्चव० १५९९] १६२ इच्छियठाणेण गुणं... [ ] १४९ / तेसि नमो तेसि....[पञ्चव० १६००] १६२ माया लोभकषायश्चेत्येतद्... [प्रशम० ३२] १५१ | संलिहिऊणऽप्पाणं एवं... जोगा पडिपदेसं... [बन्धशतके ९९] १५१] [आचा० नि० २७३/२]
१६२ अप्पं बायर मउयं.... [ ] १५१ सव्वत्थापडिबद्धो.... [पञ्चव० १६१३] १६२ को दुक्खं पावेज्जा...[उपदेशमाला०१२९] १५२ पढमिल्लयसंघयणे.....[पञ्चव० १६१८] १६२ उद्धारसागराणं अड्वाइज्जाण..[बृहत्क्षेत्र० १।३] १५५ भत्तपरिन्नाणसणं......[ ] १६२ अविसेसिया मइ च्चिय...विशेषाव० ११४] १५८ | इंगियदेसम्मि सयं...... [ ] १६३ जह दुव्वयणमवयणं...[विशेषाव० ५२०] १५८| पंचत्थिकायमइयं...... [ध्यानश० ५३] १६३ सदसदविसेसणाओ...[विशेषाव० ११५] १५८ | सरउग्गयससिनिम्मल-... [प्रथमकर्म० १०] १६४ जं सामन्नग्गहणं भावाणं.... [ ] १५८ केवलणाणावरणं १...[बन्धश० ७९] १६५
ओयाहारा जीवा ...[बृहत्सं० १९८-१९९] १५९ मतिसुयणाणावरणं....विशेषाव० २८९५] १६५ एगिदिय देवाणं.....[बृहत्सं० १९८-१९९] १५९ सव्वेसु सव्वघाइसु... [विशेषाव० २८९६] १६५ विग्गहगइमावण्णा १....[जीवसमासे ८२] १५९ पढमं लहइ नगारं... [विशेषाव० २८९७] १६५ णिग्गंथ १ सक्क २...[पिण्डनि० ४४५] १६० | दसणसीले जीवे... [प्रथमकर्म० १९] १६५ शंसु स्तुतौ [पा०धा० ७२८] १६० महुलित्तनिसियकरवालधार..प्रथमकर्म० २८] १६५ संजमजोगविसन्ना..[उत्तरा० नि० २१६] १६० | जह मज्जपाणमूढो....प्रथमकर्म० ३४] १६५ मोत्तुं अकम्मभूमगनर-..[उत्तरा० नि० २२०] १६० दुक्खं न देइ आउं....[प्रथमकर्म० ६३] १६५
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