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द्वितीयं परिशिष्टम्
गाथा
पृष्ठाङ्कः | गाथा
पृष्ठाङ्कः पंच सए छव्वीसे.... [बृहत्क्षेत्र० २९] ११७/ ऐन्द्रो निर्ऋतिस्तोय....[वाराही हेमवए पंचहिया....[बृहत्क्षेत्र० ३०] ११७ | __ बृहत्संहिता ९७।५] १३३ हरिवासे इगवीसा....[बृहत्क्षेत्र० ३१] ११७ | तत्थ खलु इमे..... [ ] १३३ तेत्तीसं च सहस्सा....[बृहत्क्षेत्र० ३२] ११८ | इंगालए १ वियालए २,....[सूर्यप्र० २०] १३४ जोयणसयमुग्विद्धा...[बृहत्क्षेत्र० १३०] ११८ | पंचसयजोयणुच्चा....[बृहत्क्षेत्र० ३।४] १३८ चत्तारि जोयणसए.... बृहत्क्षेत्र० १३१] ११८ | दो उसुयारनगवरा.....[बृहत्क्षेत्र० ३५] १३८ उस्सेहचउब्भागो.....[
११८ पुव्वद्धस्स य मज्झे.... [बृहत्क्षेत्र० ३।६] १३९ वासहरगिरी तेणं.... [बृहत्क्षेत्र० २६०] ११९ / अरविवरसंठियाई चउरो....[बृहत्क्षेत्र० ३।७] १३९ पंचसए उव्विद्धा.... [बृहत्क्षेत्र० २६१] ११९ | भरहे मुहविक्खंभो....[बृहत्क्षेत्र० ३।१३] १३९ वक्खारपव्वयाणं ..... [बृहत्क्षेत्र० २५९] ११९ | अट्ठारस य सहस्सा....[बृहत्क्षेत्र० ३।२६] १३९ पणुवीसं उव्विद्धो.....[बृहत्क्षेत्र० १७८] १२०
चउगुणिय भरहवासो,....[बृहत्क्षेत्र० ३।३०] १३९ कत्थइ देसग्गहणं......[विशेषाव० ३८८] १२१
जह विक्खंभो....[बृहत्क्षेत्र० ३।३१] १३९ वेयड्ड ९ मालवंते ९....[बृहत्क्षेत्र० १३२] १२१
| सत्ताणउई सहस्सा....बृहत्क्षेत्र० ३।४३] १३९ रुप्पि ८ महाहिमवंते...[बृहत्क्षेत्र० १३३] १२१
अडवण्णसयं तेवीस.....[बृहत्क्षेत्र० ३।४८] १३९ पउमे य १ महापउमे...[बृहत्क्षेत्र० ५६८] १२२
| वासहरगिरी १२......[बृहत्क्षेत्र० ३।३८] १३९ अद्भुट्ठ अद्धपंचम...[बृहत्सङ्ग्र० ६]
कंचणगजमगसुरकुरुनगा...[बृहत्क्षेत्र० ३।४१] १३९
लक्खाई तिन्नि दीहा....[बृहत्क्षेत्र० ३।४९] १३९ एएसु सुरवहूओ....[बृहत्क्षेत्र० १७०]
१२३
अउणट्ठा दोनि सया....[बृहत्क्षेत्र० ३५०] १३९ गंगा सिंधू १....[बृहक्षेत्र० १७१] १२८
| सव्वाओ वि णईओ....[बृहत्क्षेत्र० ३।४०] १३९ सीया य ४....[बृहक्षेत्र० १७२] १२८
वासहरकुरुसु दहा.... बृहत्क्षेत्र० ३।३९] १४० दोसु वि कुरासु.....[बृहत्क्षेत्र० ३०१]
| दो चंदा इह...[बृहत्क्षेत्र० ५।७२, सुसमसुसमाणुभावं....[बृहत्क्षेत्र० ३०२] १३०
बृहत्संग्र० ६४] १४० हरिवासरम्मएसु.... [बृहत्क्षेत्र० २५५] १३०
| महाहिमवंताओ वासहरपव्वयाओ..[सू० ८९] १४१ छट्ठस्स य आहारो...[बृहत्क्षेत्र० २५६] १३०
| भूमीए भद्दसाल.....[बृहत्क्षेत्र० १।३१६] १४२ गाउयमुच्चा पलिओवमाउणो...
| पंडगवणम्मि चउरो.... [बृहत्क्षेत्र० ११३५५] १४२ [बृहत्क्षेत्र० २५३]
| पंचसयायामाओ मज्झे..[बृहत्क्षेत्र० १।३५६] १४२ चउसट्ठी पिट्ठिकरंडयाण... बृहत्क्षेत्र० २५४] १३०
| मेरुस्स उवरि चूला...... [ ] १४२ मणुयाण पुवकोडी..... [ ] १३० | ईयालीस सहस्सा... [बृहत्क्षेत्र० ५।१७] १४२ न कदाचिदनीदृशं जगत् [ ] १३२ पन्नट्ठि सहस्साई चत्तारि..[बृहत्क्षेत्र० ५।२६] १४२ अश्वियमदहनकमलज-....
| चउगुणिय भरहवासो.... [बृहत्क्षेत्र० ३।३०] १४२ _[वाराही बृहत्संहिता ९७।४] १३३ | सत्तत्तरि सयाई चोद्दस...[बृहत्क्षेत्र०५।४२] १४३
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