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________________ २९४ १० १५ उत्तरऽज्झयणाणि १४३९. न संयं गिहाई कुवेजा नेव अन्नेहिं कारए । हिकम्मसमारंभे भूयणं दिस्सए वहो ॥ ८ ॥ १४४०. तसाणं थावराणं च स्हुमाणं बायराण य । तुम्हा गिहसमारंभ संओ परिवज्जए ॥ ९ ॥ १४४१. तहेव भत्त-पाणेसु पयणे पयावणेसु यँ । पाण- भूयदयट्ठाए न पए न पयावए ॥ १० ॥ १४४२. जल-धन्ननिस्सियों जीवा पुढवी - कट्ठनिस्सिया । मंतित - पाणेसु, तम्हा भिक्खू न पयावए ॥। ११ ॥ १४४३. विसैप्पे सव्वओधारे बहुपाणविणासणे । नत्थि जोइसमे सत्थे, तम्हा जोई न दीवए ॥ १२॥ १४४४. हिरण्णं जौयरूवं च मणसा वि न पत्थए । समलेहुँ-कंचणे भिक्खू विरए कय - विक्कर ॥ १३ ॥ १४४५. किणतो कइओ होइ, विक्किणंतो य वाणिओ । कय-विक्यम्मि वट्टंतो भिक्खू होइ न तारिसी ॥ १४ ॥ १४४६. भिक्खियव्वं, न केयव्वं भिक्खुणा भिक्खवित्तिणा । कँय-विक्कओ महादोसो भिखावित्ती सुदावहा ॥ १५॥ १४४७. समुयाणं उंछमेसेज्जा जहासुत्तमर्णिदियं । लाभालाभम्मि संतुट्टे पिंडवींयं चरे मुणी ॥ १६ ॥ १. सई सं १ सं २॥ २. व्विज्जा सं १ सं २ विना ॥ ३. गिहिक सं २ ला १५० ॥ ४. गिहिस सं २ ला २ ॥ ५. संजए सं १ ॥ ६. पयण - पयाव' इति पाठानुसारिणी पाटी०, हस्तलिखितनेटी • प्रतिपाठोऽपि पाटी० सम इति ॥ ७ “ भूतवधो दृश्यते इति प्रागुक्तेन सम्बन्धः ” इति नेटी० ॥ ८. पते न पयावते सं २ ॥ ९. या पाणा पु सं १ ॥ १०. हम्मंती सं १ ॥ ११. “ भक्त पानेषु, प्रक्रमात् पच्यमानादिषु ” इति पाटी० टी० ॥ १२. “ विसर्पे सर्वतो - धारं बहुप्राणविनाशनं नास्ति ज्योतिः समं शस्त्रम्, सर्वत्र लिङ्गव्यत्ययः प्राग्वत्” इति पाटी० ॥ १३. जाइरू° ला २ ॥ १४. लिहु सं १ सं २ शा ० विना ॥ १५. भिक्खू न हवह ता सं १ विना ॥ १६. क्खवत्ति ला २ शा० ॥ १७. “ क्रयश्च विक्रयश्च क्रय-विक्रयम् महादोषम्, लिङ्गव्यत्ययश्च प्राग्वत् ( ' प्राकृतत्वात्' इति नेटी ० ) " इति पाटी० टी० ॥ १८. भिक्खविला १ पु० । भिक्खवत्ती ला २ शा० ॥ १९. सिज्जा सं १ सं २ ने० विना ॥ २०. 'वायं गवेल ॥ १६ ॥ सं १ पाटीपा० । “पिण्डपातं भिक्षाटनम् ” इति पाटी० टी० ॥ Jain Education International [सु० १४३९ - ... For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001026
Book TitleDasveyaliya Uttarjzhayanaim Avassay suttam
Original Sutra AuthorShayyambhavsuri, Pratyekbuddha, Ganadhar
AuthorPunyavijay, Amrutlal Bhojak
PublisherMahavir Jain Vidyalay
Publication Year1977
Total Pages759
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, agam_aavashyak, agam_dashvaikalik, & agam_uttaradhyayan
File Size11 MB
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