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१२९] पंचमे पिंडेसणऽज्झयणे पढमो उद्देसओ ११८. मट्टियागतेण हत्थेण दव्वीए भायणेण वा ।
देतियं पडियोइक्खे न मे कप्पइ तारिसं ॥३६॥ ११९. ऊसगतेण हत्थेण दव्वीए भायणेण वा ।
देतियं पडियोइक्खे न मे कप्पइ तारिसं ॥ ३७॥ १२०. हरितालगतेण हत्थेण दव्वीए भायणेण वा ।
देंतियं पडियोइक्खे न मे कप्पइ तारिसं ॥३८॥ १२१. हिंगुलुयगतेण हत्थेण दव्वीए भायणेण वा ।
देंतियं पडियोइक्खे न मे कप्पइ तारिसं ॥ ३९ ॥ १२२. मणोसिलागतेण हत्थेण दव्वीए भायणेण वा ।
देंतियं पडियोइक्खे न मे कप्पइ तारिसं ॥ ४० ॥ १२३. अंजणगतेण हत्थेण दवीए भायणेण वा ।
देंतियं पडियोइक्खे न मे कप्पइ तारिसं ॥४१॥ १२४. लोणगतेण हत्थेण दव्वीए भायणेण वा ।
देंतियं पडियोइक्खे न मे कप्पइ तारिसं ॥४२॥ १२५. गेरुयगतेण हत्थेण दव्वीए भायणेण वा ।
देंतियं पडियोइक्खे न मे कप्पइ तारिसं ॥४३॥ १२६. वण्णियगतेण हत्थेण दव्वीए भायणेण वा ।
देंतियं पडियोइक्खे न मे कप्पइ तारिस ॥४४॥ १२७. सेडियँगतेण हत्थेण दव्वीए भायणेण वा ।
देंतियं पडियोइक्खे न मे कप्पइ तारिसं ॥४५॥ १२८. सोरट्ठियगतेण हत्थेण दव्वीए भायणेण वा ।
देंतियं पडियाँइक्खे न मे कप्पइ तारिसं ॥४६॥ १२९. पिट्ठगतेण हत्थेण दवीए भायणेण वा ।
देतियं पडियोइक्खे न मे कप्पइ तारिसं ॥४७॥
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१. मट्टियाकएण वृ०॥ २. यायिक्खे अचू० ॥ ३. हिंगोलुय अचू०॥४, सेढ़िय जे० ॥
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