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वियाहपण्णत्तिसुत्तं
[स० २० उ०६ १०. एवं बंभलोगस्स लंतगस्स य कप्पस्स अंतरा समोहए० पुणरवि जाव अहेसत्तमाए।
११. एवं लंतगस्स महासुक्कस्स य कप्पस्स अंतरा समोहए, समोहणित्ता पुणरवि जाव अहेसत्तमाए।
१२. एवं महासुक्कस्स सहस्सारस्स य कप्पस्स अंतरा० पुणरवि जाव अहेसत्तमाए।
१३. एवं सहस्सारस्स आणय-पाणयाण य कप्पाणं अंतरा० पुणरवि जाव अहेसत्तमाए।
१४. एवं आणय-पाणयाणं आरणऽञ्चुयाण य कप्पाणं अंतरा० पुणरवि १. जाव अहेसत्तमाए।
१५. एवं आरणऽञ्चुताणं गेवेजविमाणाण य अंतरा० जाव अहेसत्तमाए।
१६. एवं गेवेजविमाणाणं अणुत्तरविमाणाण य अंतरा० पुणरवि जाव अहेसत्तमाए। १५ १७. एवं अणुत्तरविमाणाणं ईसिपब्भाराए य अंतरा० पुणरवि जाव
अहेसत्तमाए उववाएयव्यो।
[सु. १८-२०. पढमाइपंचमसुत्तपण्णियपुढविकायवत्तव्वयाणुसारेण
आउकायस्स निरूवणं] १८. आउकाइए णं भंते! इमीसे रयणप्पभाए सक्करप्पभाए य पुढवीए २० अंतरा समोहए, समो० २ जे भविए सोहम्मे कप्पे आउक्काइयत्ताए उववन्जित्तए०१ सेसं जहा पुढविकाइयस्स जाव सेतेणटेणं० ।
१९. एवं पढम-दोचाणं अंतरा समोहयओ जाव ईसिपब्भाराए य उववातेयव्वो।
२०. एवं एएणं कमेणं जाव तमाए अहेसत्तमाए य पुढवीए अंतरा० २५ समोहए, समो० २ जाव इसिपब्भाराए उववातेयव्वो आउक्काइयत्ताए।
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